सिंगोरी न्यूजः यहां एक ऐसे साहित्य साधक का जिक्र हो रहा है जिन्होंने वह दुरूह सफर तय किया जिसकी आज की सुविधासंपंन स्थितियों में संभव नहीं किया जा सकता है। साहित्य के इस मनीषी का नाम है। गोविंद चातक।
आज की किताबः क्या गोरी क्या सौंळी, निबंध
लेखकः – गोविंद चातक
प्रकाशन वर्ष – 1956, श्याम बुक डिपो देहरादून से प्रकाशित
चातक जी टिहरी गढ़वाल कीर्तिनगर के सरकोसैनी गांव के रहने वाले थे। उनके पिता का नाम धाम सिंह कंदारी और श्रीमती चंद्रा देवी। अच्चरीखुंट से प्राथमिक शिक्षा, इलाहबाद (प्रयागराज) से स्नातक, आगरा विश्वविद्यालय से पी.एच.डी। हिंदी भाषा साहित्य की नाटक, आलोचना, लोक आदि विधाओं में 25 से अधिक पुस्तकें भी उन्होंने लिखी हैं।