पौड़ीः (देवेंद्र बिष्ट)।विशेष सत्र न्यायाधीश आशीष नैथानी की अदालत ने एक नाबालिग लड़की को भगाने के अभियुक्त को तीन वर्ष की सजा से दण्डित किया है।
विशेष लोक अभियोजक (पोक्सो) बिजेंद्र सिंह रावत ने बताया कि मामला पौड़ी थाने के एक गांव का है, जहां पीड़िता अपने चाचा के साथ रह रही थी। 29दिसम्बर 2020 को पीड़िता अचानक गायब हो गयी। काफी खोजबीन के बाद जब नाबालिक का पता नही चला तो पीड़िता के चाचा ने स्थानीय थाने में पीड़िता की गुमशुदगी दर्ज करवाई।
विशेष लोक अभियोजक (पोक्सो) बिजेंद्र सिंह रावत
तदोपरांत पीड़िता की तलाश के लिए पुलिस टीम का गठन किया गया। पीड़िता के फ़ोन की लोकेशन पुलिस टीम को राजस्थान के कोटा शहर में मिल रही थी। स्थानीय पुलिस के सहयोग से पुलिस टीम ने 10 फरवरी 2021 को पीड़िता को अभियुक्त के कब्जे से कोटा शहर में बरामद कर लिया। पीड़िता ने पुलिस टीम को बताया कि अभियुक्त उसे लेने पौड़ी आया था और बहला फुसलाकर देहरादून दिल्ली होते हुये कोटा ले आया।पीड़िता के बयान के आधार पर अभियुक्त पर भारतीय दंड संहिता और पोक्सो एक्ट की धारा की वृद्धि की गयी।पीड़िता का मजिस्ट्रेट के सामने भी बयान दर्ज किये गये।
विवेचक द्वारा विवेचना पूर्ण करने के बाद आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया।अभियोजन की ओर से ग्यारह गवाह परीक्षित किये गये।दोनों पक्षो को सुनने के बाद विशेष सत्र न्यायाधीश ने कैंप कोर्ट कोटद्वार में अभियुक्त को धारा 363 भा दं सं के तहत तीन साल की सजा व दस हजार रूपये का अर्थ दण्ड से दण्डित किये जाने फैसला किया।अर्थदण्ड अदा न करने पर दो माह का अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी पड़ेगी।
अभियुक्त की पूर्व में जेल में निरुद्ध रहने को इस सजा में समायोजित किया जायेगा।अभियुक्त के विरुद्ध लैंगिग हमले का साक्ष्य न होने के कारण भारतीय दंड संहिता की धारा366,366(अ),व 376(3) व् पोक्सो एक्ट के आरोपो से दोष मुक्त कर दिया।
