सिंगोरी न्यूजः साहित्यकारों व साहित्य प्रेमियों के लिए अरसे बाद प्रदेश से एक अच्छी खबर आई है। यह खबर अच्छी इसलिए है क्योंकि इसमें लोक भाषा यानी गढ़वाली कुमाउंनी जौनसारी पर काम करने वाले साहित्यकारों को सम्मानित करने की बात सरकार ने की है। और अरसे बाद इसलिए क्योंकि इस दिशा में अब तक जो भी प्रयास हुए वह इस तरह के नहीं हुए। इसके लिए प्रदेश के भाषा, पुनर्गठनराज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) यतीश्वरानन्द ने विधान सभा स्थित कार्यालय में आयोजित भाषा विभाग की समीक्षा बैठक में अधिकारियों को यह निर्देश दिए हैं। यहां उन्होंने उत्तराखंड भाषा संस्थान की प्रबंधन कार्यकारिणी एवं साधारण सभा के गठन को भी कहा है।
मंत्री ने उत्तराखण्ड की मुख्य भाषाओं और लोक भाषाओं के 100 उत्कृष्ट साहित्यकारों को बडे मंच पर सम्मानित निर्देश दिए। इस काम के लिए मंत्री ने एक माह का समय दिया है। कहा कि लोक भाषाओं के विशेषज्ञों तथा इस क्षेत्र में उत्कृष्ट साहित्य रचना अथवा भाषा उत्थान के सम्बन्ध में बेहतर प्रयास करने वाले विद्धानों को भाषा संस्थान की प्रबन्ध कार्यकारिणी एवं साधारण सभा में सलाहकार के तौर पर नियुक्त किया जायए। उन्होने कुमाॅऊ तथा गढवाल में भाषा विभाग की डिजिटल लाईब्रेरी (आॅन लाईन पुस्तकालय ) के भवन निर्माण की प्रक्रिया करने के निर्देश दिए।
उन्होंने लोक भाषा के उत्थान तथा साहित्यकारों के सम्मान से सम्बन्धित जो भी प्रकरण कैबिनेट के सम्मुख प्रस्तुत किये जाने है उन पर तेजी से कार्य करने के निर्देश दिए। और एक सप्ताह में समीक्षा की बात कही है। बैठक में सचिव उत्तराखण्ड भाषा संस्थान विनोद रतूडी, निदेशक भाषा संस्थान रणवीर सिंह चैहान, वित्त नियंत्रक सुनील कुमार, संयुक्त सचिव वीरेन्द्र पाल, उप निदेशक पंजाबी अकादमी श्रीमती जसविंदर कौर सहित सम्बन्धित विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।