क्या जिगरा होता होगा वतन पर मिटने वालों का। किस मिट्टी के बने होते होंगे वो लोग, हमारे ही बीच से कैसे चुपचाप तैयार होते हैं वो जांबाज, जिनका नाम सोने से भी चमकदार धातु से एक अनंत आसमान पर सदियों तक चमक बिखेरता रहता है। सच में कितना सौभाग्य लेकर आते होंगे वो जांबाज जो देश की रक्षा में शहीद हो जाते हैं। विछोह का दर्द निश्चित ही असह्य है। लेकिन शहादत का गौरव खुद की पीढ़ियों से लेकर देश के हर वर्ग व समाज को सदा सदा ही गौरवान्वित करने का अवसर देती हैं।
आज फिर जम्मू कश्मीर के राजौरी से एक दुखद खबर आई है। इसमें आतंकियों के साथ मुठभेड़ में चार सेना के जवानों की शहीद होने की सूचना है। इसमें एक जवान उतराखंड के नैनीताल जनपद के हलीगांव के भी हैं। शहादत देने वाले वीर का नाम संजय बिष्ट है।
इस सूचना से पूरे क्षेत्र में शोक का माहौल है।
जांबाज संजय जीआइसी रातीघाट का मेधावी छात्र रहा। भारतीय सेना में भर्ती होकर देशसेवा की ललक उसमें बचपन से ही थी। 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद संजय वर्ष 2012 में 19-कुमाऊं रेजीमेंट में भर्ती हुआ। कठिन प्रशिक्षण व मेहनत के दम पर उसे नाइन-पैरा की स्पेशल फोर्स में बतौर कमांडो तैनाती मिली। बीती एक नवंबर को ही संजय एक माह की छुट्टी बिताकर जम्मू लौटा था। इस दरमियान दूरभाष पर स्वजन की उससे वार्ता हुई। बलिदान से माहौल गमगीन है तो क्षेत्र गौरवान्वित भी है।