सिंगोरी न्यूजः उत्तर प्रदेश से अच्छी खबर आई है। और वह खबर पहाड़ की माटी के लाल की निर्णय क्षमता से आई है। यहां बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उस निर्णय की जिसमें उन्होंनंे प्रदेश से 300 बसों को कोटा भेजा, जिन बसों से वहां फंसे छात्र छात्राएं अपने घरों को आ सकेंगे।
राजस्थान के कोटा में फंसे बच्चों को निकालने के लिए यूपी ने प्रक्रिया शुरू हो गई है, लेकिन सवाल यह है आखिर उत्तराखंड में भी इस दिशा में क्या कदम उठाए जायेंगे। या यहां के बच्चों व अन्य लोगों को ऐसे ही नियति के सहारे छोड़ दिया जायेगा।
एक जानकारी के मुताबिक लाॅकडाउन की अवधि से बड़ी तादाद में उत्तराखंड के बच्चे या अन्य लोग बाहरी प्रांतों में फंसं हुए हैं। जो काम करते थे उनके पास काम नहीं है, वह घर लौटना चाहते हैं और जो बच्चे पढ़ने बाहर गए थे उनका तो सारा प्लान ही चैपट हो गया है। उनके लिए घर वापस लौटना पहला और पढ़ाई दूसरा काम हो गया है। गत दिवस खबर आई कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोटा से उत्तर प्रदेश के बच्चों को ले जाने के लिए बसें भेजी हैं. उत्तर प्रदेश के बच्चे लॉकडाउन की वजह से कोटा फंसे हुए हैं। यहां उत्तरांखड से लेकर बिहार समेत कई प्रदेशों के हजारों बच्चे फंसे हैं।
जम्मू कश्मीर प्रशासन भी कोटा में फंसे अपने राज्य के बच्चों को वापस लाने का प्रयास कर रही है। बिहार ने हालांकि बाहर रहने वालों को वापस आने के लिए मना कर दिया है। लेकिन कब तक।
योगी आदित्य नाथ के इस फैसले से एक फिर उत्तराखंड सरकार यहां के नियंताओं की निर्णय क्षमता सवालों में आ गई है। सवाल उठ रहे हैं कि त्रिवेंद्र सरकार बाहर फंसे छात्रों व अन्य लोगों के लिए क्या कर रही है। क्या त्रिवेंद्र योगी जैसे कदम उठाने या निर्णय लेने में अक्षम हैं। मौजूदा हालातों में इन सवालों उठना भी लाजमी है। उम्मीद की जानी चाहिए कि योगी की तौर तरीकों की देखा देखी त्रिवेंद्र भी कुछ वैसा ही करेंगे। लेकिन इसे भी नियति पर छोड़ना ही बेहतर होगा।