सिंगोरी न्यूजः रिटायरमेंट के बाद विभागों में पुनर्नियुक्ति के काले खेल को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने खत्म कर दिया है। विभागों में किसी रिटायर अधिकारी या कर्मचारी को अनुबंध पर नहीं रखा जायेगा। मुख्यमंत्री ने इसके सख्त निर्देश जारी कर दिए हैं। सीएम के इस सख्त कदम से अफसरशाही की मनमानी और भ्रष्टाचार का खेल भी खत्म हो गया है।
राज्य निर्माण से ही उत्तराखंड में विभागीय पुनर्नियुक्त का खेल बड़ी चालाकी से खेला जा रहा है। यानी अफसर अपने चहेतों को सेवानिवृत्त होते ही पुनर्नियुक्ति पर रख देते हैं। कहा जाता है कि उत्तराखंड में कोई अधिकारी रिटायर ही नहीं होता। रिटायरमेंट से पहले ही वह अपनी व्यवस्था बना देता है। लोनिव, वन विभाग, सिंचाई आदि में इस तरह की पुनर्नियुक्ति के मामलों की लंबी फेहरिस्त है। जिन पर थोड़ा नहीं बल्कि सरकार का मोटा पैसा खर्च होता है। सवाल उठता है कि जब आयु पूरी करने के बाद भी उन्हीं से काम लिया जाना है। तो ऐसे रिटायरमेंट के क्या मायने हैं। लेकिन यह सब खेल नौकरशाही की शह पर वर्षों से अनवरत चलता रहा है। लेकिन अब अफसरशाही का यह खेल नहीं चलने वाला है। सीएम त्रिवेंद्र ने इस खेल पर नकेल डाल दी है।
सीएम के निर्देशों के अनुसार रिटायर हो चुके अधिकारियों और कर्मचारियों को फिर से विभागों में तैनाती (पुनर्नियुक्ति) देने या अनुबंध पर रखने पर शासन ने सशर्त रोक लगा दी है। यदि कहीं इस तरह की व्यवस्था देना बहुत जरूरी हुआ तो उन परिस्थितियों में संबंधित विभाग को यह लिखकर देना होगा कि विभाग में पद को धारण करने वाला कोई योग्य व्यक्ति यहां नहीं है।
खास बात यह भी है कि यदि किसी अफसर ने इस मामले में कार्मिक और सर्तकता विभाग की आंखों मंे धूल झोंकने का प्रयास किया तो यह गंभीर कदाचार की श्रेणी में आयेगा। साफ है कि इसमेें पुनर्नियुक्ति अधिकारी की ही जबाबदेही तय की जायेगी। ऐसे में यदि कोई कागजों का झोल बनाकर इस खेल को करता भी है उसे बहुत महंगा पड़ जायेगा। ज्ञात है कि 2013 में भी पुनर्नियुक्ति के खेल को समाप्त करने को लेकर सरकार ने आदेश जारी किए गए थे। बावजूद इसके यह सिलसिला जारी है।
इसके बावजूद भारी भरकम ढांचा होते हुए भी कई विभागों में पुनर्नियुक्ति की परंपरा बन गई है। सीएम के अनुमोदन पर भी यह खेल खूब खेला गया। हैरत यह भी है कि जिन विभागों में भारी भरकम लावलश्कर भी मौजूद है। उन विभागों में भी पुनर्नियुक्ति का यह खेल धड़ल्ले से चल रहा है। हैरान करने वाली बात यह भी है कि जिन पदों पर विशेष योग्यता की आवश्यता नहीं होती, यानी क्लास थ्री क्लास फोर, उन पर भी बड़ी तादाद में पुनर्नियुक्तियां की गई हैं।
लेकिन अब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने नौकरशाही के इस खेल को खत्म कर दिया है। इससे सरकार के पड़ने वाला अतिरिक्त बोझ तो कम होगा। नए लोगों को भी काम करने का मौका मिलेगा। और सबसे बड़ी बात कि नौकरशाही के नैपोटिजम और एक हिसाब से खुलेआम होते करप्शन पर सीएम ने अब पूर्ण विराम लगा दिया है।