सिंगोरी न्यूजः गत दिनों सूबे में फिर से एक बार नेतृत्व परिवर्तन की कतई आधारहीन अफवाह उड़ी। हालांकि इस बार की अफवाह में वह करंट नहीं था, जो पहले देखा जाता रहा। लेकिन फिर भी परिवर्तन की अफवाह की भी अपनी गर्माहट होती है। इस बार भी अफवाह फैलाने वाले औंधे मुंह गिरे। और इस सारे घटनाक्रम के दौरान टीएसआर बगैर विचलित हुए अपने कार्यक्रमों में व्यस्त रहे। और अजेय रहे।
पिछले कुछ दिनों में खासतौर पर सोशल मीडिया पर एक बात खूब चल रही थी। भाजपा में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर विधायक लामबंद हो गए हैं। विद्रोह की बैठक कभी हल्द्वानी में बताई जाती है तो कभी दिल्ली में। लेकिन अटकलें फैलाने वालों की तमाम कोशिशों के बाद भी टीएसआर अजेय हैं। और जिस हिसाब से उनकी परफार्मेंस हैं उससे कई जानकार यह भी उम्मीद लगा रहे हैं कि वह दूसरे टर्न के भी अजेय योद्धा रहेंगे। सोशल मीडिया पर खबरें उठी कि पूर्व मंत्री बिशन सिंह चुफाल के नेतृत्व में कुछ विधायकों ने चुपकर ही सही लेकिन विद्रोह का बिगुल फूंक दिया है। यह तक कहा गया कि विद्रोह करने वाले विधायक कह रहे हैं कि वह 2022 का चुनाव मौजूदा सीएम त्रिवेंद्र रावत के नेतृत्व में कतई नहीं लड़ेंगे। फिर दिल्ली में राष्टीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ पूर्व मंत्री चुफाल की मीटिंग की बात हुई तो अफवाहों ने फिर जोर मारा। और वह यह कि चुफाल ने नड़डा से मुलाकात कर अपनी नाराजगी जता दी है और एक हिसाब से टीएसआर के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंक दिया है। लेकिन दो तीन दिन चले इस घटनाक्रम में खोदा पहाड़ औ निकली चुहिया वाली ही कहावत चरितार्थ हुई। इससे ज्यादा कुछ नहीं।
स्थितियां को भांप राजनीति के पुराने जानकार चुफाल ने तत्काल बयान जारी किया कि दिल्ली जाने के उनके अपने कारण हैं, वह आपदा प्रभावित क्षेत्रों के विस्थापन के मसले को लेकर वहां गए। रही बात अफसरशाही की नाफरमानी की तो इस पर भी बात होनी स्वाभाविक सी बात है। साफ है ऐसी कोई बात नहीं जिस तरह से फैलाया जा रहा है।
इधर सूबे में प्रदेश स्तर के नेता भी इस एपिसोड पर एलर्ट मोड में आ गए हैं। खबर है कि कुछ नेताओं ने तो अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर पुलिस से भी शिकायत की है। पार्टी के प्रदेश महामंत्री राजेंद्र भंडारी ने कहा कि विधायकों की नाराजगी और बगावत को लेकर अफवाह फैलाई जा रही है। वह गलत है। संगठन और सरकार के बीच सारी व्यवस्थाएं दुरूस्त हैं। टीएसआर के शपथ ग्रहण से उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने और परिवर्तन की बात समय समय पर कई तरीकों से उछती रही।
लेकिन सवाल उठ रहा है कि इस तरह की हरकतों के पीछे कौन है। जो बार बार इस तरह की अफवाहों को हवा दे रहा है। इसका परिणाम तो हर बार ही सिफर ही रहा लेकिन इससे एक वह संदेश में भी जाता है जिसका सीधा असर विकास की रफ्तार पर पड़ता है।पार्टी व संगठन के उच्च पदस्थों के राडार भी अब सर्च मोड पर हैं। देखना है कि अफवाहों का खेल खेलने वालों के सिग्नल राडार पर किस तरह और कब पहुंच पाते हैं। और रही बात टीएसआर की वह तो फिलहाल अजेय ही हैं।