राजनैतिक सुचिता की कसौटी पर भी सबसे खरे हैं सीएम त्रिवेंद्र

एक-दूसरे के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी, अभद्र भाषा और बेबुनियाद आरोप-प्रत्यारोप करना मौजूदा राजनीति में एक चलन सा बन गया है। इस माहौल में उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने ‘सियासी सुचिता’ की एक लंम्बी लकीर खींची है। हाल ही के एक घटनाक्रम में उन्होंने बड़ा दिल दिखाते हुए नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश से खेद जताया और भाजपा के लिए सिरदर्द बनने वाले एक मुद्दे का पटाक्षेप कर दिया। इस कदम से त्रिवेन्द्र रावत की छवि एक गंभीर और सिद्धांतवादी राजनीतिज्ञ के रूप में सामने आई है। समाज का हर तबका उनकी तारीफ कर रहा है। विपक्ष भी खुद को उनकी सराहना करने से नहीं रोक पा रहा है।बीते मंगलवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत की नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश पर की गई एक टिप्पणी को विपक्ष ने मुद्दा बना लिया। उनकी टिप्पणी को नारी सम्मान से जोड़ते हुए समूचा विपक्ष भाजपा पर हमलावर हो गया। देर शाम तक बात का बतंगड़ बन गया। मौजूदा समय में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत कोरोना संक्रमण से उबरने के बाद दिल्ली में सरकारी कामकाज निपटा रहे हैं।

इधर सोशल मीडिया में उछले मुद्दे की जानकारी मिलते ही उन्होंने देर रात ट्वीट कर पूरे प्रकरण को लेकर नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश से खेद प्रकट किया। कहा कि महिला हमारे लिए अति सम्मानित और पूज्या है। सुबह होने तक उनका यह ट्वीट सोशल मीडिया में वायरल हो गया। मुख्यमंत्री का यह त्वरित कदम राजनीति से जुड़े लोगों के लिए अप्रत्याशित था। उनके चार लाइन के ट्वीट ने लोगों का दिल जीत लिया। सीएम त्रिवेन्द्र ने साबित कर दिया कि वह सरल, सच्चे, ईमानदार नेता हैं। लाग-लपेट उनके स्वभाव में है ही नहीं। वह शासन ही नहीं बल्कि सियासत में भी सुचिता के पक्षधर हैं। अक्सर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र की कार्यशैली को सराहने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उनके कदम को सूझबूझ से भरा और स्वागत योग्य बताया है। इतना ही नहीं कोरोना से उबरने के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र की ओर से बेरोजगारों, नर्सिंग के बच्चों और विकलांगों को उपहार देने की भी हरीश ने दिल खोलकर तारीफ की है। सीनियर जर्नलिस्ट दीपक फस्र्वाण जी की कलम से।

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