सिंगोरी न्यूजः त्रिपालीसैण, चाकीसैण, पाठीसैण, थलीसैण, चौबट्टाखाल, नौगांवखाल गुमखाल ये सब उन जगहों के नाम हैं जहां रोजमर्रा की जिंदगी को आगे बढ़ाने के लिए हर रोज एक जंग लड़नी पड़ती है। अपना जल जंगल जमीन होने के बाद भी हर रोज कुआं खोदकर पानी पीने जैसे हालात यहां हर परिवार में दिख जायेंगे। पलायन की मार ने इन क्षेत्रों को तोडा जरूर है लेकिन सुखद यह कि उजाड़ा नहीं है। यहां लोग डरते नहीं हैं गुलदार के खूंनी पंजो से भी और विनाशकारी आपदा से भी नहीं। विकट परिस्थितियों में इनका हौसला और मजबूत होता है। सेना के डीएमएस बूट और हरी वर्दी में कंधे पर सजते सितारे यहां की शान के अनगिनत किस्सों में हैं।
दूरस्थ पहाड़ी इलाकों के इन गांवों में लोग हालांकि सेना में भर्ती होकर सीमा की रक्षा करने को देश भक्ति भले ही मानते होंगे लेकिन सही मायनों उन सभी के भीतर देश भक्ति जज्बा है जो पहाड़ की कंदराओं में अपने हौसले से जीवन को हरा भरा किए हैं। अब देखिए ना! वैश्विक संकट इस घड़ी में यहां लोगों का जज्बा देखने लायक है। यहां के बाजार पूरी तरह से बंद हैं। खेत खलियानों में सन्नाटा है। लोग समय से ही अपने पालतू पशुओं के लिए चारापत्ती का इंतजाम कर रहे हैं और उसके बाद घरों में बंद हो जा रहे हैं। यहां पुलिस का डंडा नहीं है लेकिन देश को बचाने का जब संदेश आया तो कोई पीछे क्यों रहे। पाठीसैण, सतपुली, श्रीनगर, आदि क्षेत्रों से जनपद का सूचना विभाग पूरी जानकारियां जुटा रहा है।
सतपुली से सामाजिक कार्यकर्ता पुष्पेंद्र राणा कहते हैं कि यहां लोग अपने प्रति और देश के हितों के प्रति पूरी तरह से जागरूक हैं। लाॅकडाउन में लोग पूरा सहयोग कर रहे हैं। त्रिपालीसैंण क्षेत्र से आने वाले जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष नरेंद्र सिंह रावत कुट्टी भाई बताते हैं कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस संक्रमण के बचाव को लेकर जो भी एलान किया है यहंा लोग देश हित में उसका अक्षरशः पालन कर रहे हैं। अब देखिए ये वो इलाके हैं जहां ना भीड़ है और ना अन्य जगहों की तरह किसी भी तरह का कोई प्रदूषण। चालाकियों और मौकापरस्ती से कोसोें दूर यहां लोग अपने परिश्रम और पुरूषार्थ पर भरोसा करते हैं।
जंगलों मंे विभिन्न प्रकार की वनस्पतियां तो प्राकृतिक औषधि की तरह हैं। जैविक अनाज तरकारी व खाद्यान तो यहां की सेहत को और भी निरोगी बनाते हैं। लेकिन इसके बावजूद भी यहां लोगों ने अपनी दिन चर्या को पूरी तरह से सरकार से आए आदेशों के अनुरूप कर दिया है। वह कह रहे हैं कि इस लड़ाई में वह पूरी ताकत के साथ खड़े हैं। वाकई इन लोगों के लिए भी तालियां बजनी चाहिए।