आज 15 जनवरी को भारत मौसम विभाग (आईएमडी) का स्थापना दिवस उत्तराखंड और हिमाचल के लिए खास रहा। इस मौके पर दोनों राज्यों को बहुप्रतीक्षित सौगात ‘डॉप्लर राडार’ के रूप में मिली। अपराह्न उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की मौजूदगी में केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने मुक्तेश्वर (नैनीताल) और कुफरी (शिमला) में लगे इन राडार का वर्चुअली लोकार्पण किया। ‘डॉप्लर राडार’ की स्थापना पहाड़ी राज्यों उत्तराखण्ड और हिमाचल प्रदेश के लिए भाजपा सरकार की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यहां यह भी जिक्र करना होगा कि कांग्रेस और भाजपा सरकार की कार्यप्रणाली में कितना फर्क है। डॉप्लर स्थापित करने की स्वीकृति एनडी तिवारी सरकार ने दी और इसे त्रिवेन्द्र सरकार ने अंजाम तक पहुंचाया।
जैसा कि कांग्रेस युग में उसकी कछुआ चाल के कारण होता रहा है, महीनों का काम सालों में और सालों के काम दशकों में। वही इस मामले में भी हुआ। दरअसल, जिन डॉप्लर राडार का हो-हल्ला 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद मचने लगा, वे उत्तराखंड के लिए 2007 से पहले ही स्वीकृत हो चुके थे। उस वक़्त केंद्र में कांग्रेसनीत यूपीए और उत्तराखंड में कांग्रेस की ही एनडी तिवारी सरकार थी। डॉ. आनंद शर्मा उस वक़्त यहां मौसम विभाग के निदेशक थे। आपदाओं के मद्देनजर मौसम सटीक पूर्वानुमान के लिए दो डॉप्लर राडार स्वीकृत किये गए, एक गढ़वाल और दूसरा कुमाऊं में। तब जापान से उपकरण आने थे। डॉ. शर्मा ने काफी फुर्ती और उत्साह दिखाया। मगर, उत्तराखंड की अफसरशाही ने न मौसम विभाग की चिह्नित जगह फाइनल होने दी और न कांग्रेस की सरकारों ने रुचि दिखाई। जो जगह चिह्नित होती, उस पर शासन में बैठे तब के अफसर कुछ न कुछ अड़ंगा लगा देते। थक हारकर डॉ. शर्मा और मौसम विभाग के अधिकारी भी बैठ गए। खंडूरी सरकार के समय भी अफसरशाही के हालात ज्यों के त्यों बने रहे। पूरा मामला केंद्र में कांग्रेस होने के बावजूद ठंडे बस्ते में चल गया। वह तो केदारनाथ आपदा आई तो केंद्र और प्रदेश को डॉप्लर राडार की याद आयी। मोदी युग में पुरानी घोषणा नए रूप में हुई और तेज़ी से काम भी। नतीजा, जो उद्घाटन/लोकार्पण करने का अवसर करीब डेढ़ दशक पहले तब की कांग्रेस सरकारों को मिलता, वह स्वाभाविक रूप से अब भाजपा की डबल इंजन सरकार के खाते में जुड़ गया। (वरिष्ठ पत्रकार श्री जितेन्द्र अंथवाल जी की कलम से)