बागेश्वर में भाजपा प्रत्याशी को जीत मिली। तो बिरादरी में खुशी का माहौल व मिठाइयां बंटनी आम सी बात है। लेकिन प्रदेश के शिक्षा मंत्री डा धन सिंह की सकारात्मक सोच का आज एक ऐसा नतीजा निकला जिससे चुनावी रण में विजयी भाजपा के साथ साथ प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस समेत सभी दलों से ताल्लुक रखने वाले घरों में मिष्ठान स्वाभाविक से बंट गए। आइडिया भी गजब का रहा और मौका भी।
चुनावी नतीजों के साथ ही प्रदेश में आज उन बच्चों के भी परिणाम घोषित किए गए जो बोर्ड परीक्षा में किसी वजह से पास नहीं हो पाए थे। ऐसा पहली बार हुआ जबकि अनुर्तीण परीक्षार्थियों को फिर से पास होने की खुशी में खिलखिलाने का अवसर मिला हो।
सूबे के विद्यालयी शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने बताया कि राज्य में पहली बार विद्यालयी शिक्षा परिषद द्वारा परीक्षाफल सुधार परीक्षा का आयोजन किया गया। जिसमें हाईस्कूल परीक्षा में कुल 13587 परीक्षार्थियों ने आवेदन किया जिसमें 11956 अनुत्तीर्ण तथा 1631 उत्तीर्ण परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी। वहीं इंटरमीडिएट में कुल 10119 परीक्षार्थियों ने परीक्षा सुधार के लिये आवेदन किया। जिसमें 9346 अनुत्तीर्ण तथा 773 उत्तीर्ण परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल हुये। डॉ. रावत ने बताया कि परीक्षाफल सुधार परीक्षा के अंतर्गत हाईस्कूल में 11517 परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी जिसमें 8780 परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुये। जबकि इंटरमीडिएट में 8996 परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी और 6923 परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुये।
गत महीनों आए बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम में जिन बच्चों को निराशा हाथ लगी थी उन्हें शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत के नए आइडिया से फिर से एग्जाम देने का मौका मिला और आज उन घरों में उत्सव का माहौल बना है। इसे कहते हैं व्यवहारिकता। देश की आजादी के वक्त से बोर्ड परीक्षाओं में असफल अभ्यर्थियों के हित में इस तरह के ठोस प्रयास की जरूरत तो महसूस की जाती रही होगी, लेकिन ठोस और संवैधानिक समाधान की उंचाई तक किसी सोच का स्तर शायद नहीं हो सका। या फिर हमारे तमाम योग्य जन प्रतिनिधियों ने इसकी जरूरत ही नहीं समझी। क्योंकि बोर्ड परीक्षा में फेल होने का बड़ा झटका तो सिर्फ कमजोर वर्ग को ही ज्यादा लगता है।
लेकिन कहते हैं ना, यदि मार्गदर्शक सही हो घनघोर अंधेरे में रोशनी की किरण जगमगाती है, समाधान निकलता है। डा धन सिंह रावत के प्रयासों की बदौलत आज प्रदेश के हजारों घरां में उनके बच्चों का रिजल्ट खिलखिलाते हुए उनकी मेहनत की कहानी बयां कर रहा है। उर्तीण छात्रों को और मेहनत करने को उकसा रहा है। साथ साथ इससे पहले जिन्हें इस तरह का मौका नहीं मिला वह भी बहुत ही कम समय में हुए परीक्षा सुधार व्यवस्था के लिए शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत की दृढ़इच्छा शक्ति और उनकी व्यवहारिकता की दाद दे रहे हैं।
इस अभूतपूर्व एक्शन का श्रेय मशीनरी को भी दिया जाए लेकिन यहां सवाल उठता है कि विभाग का यह लश्कर तो पहले भी था। जो दशकों से इसी काम की रोटियां तोड़ रहा है।
लोगों का कहना है कि इससे पहले परीक्षा सुधार की प्रक्रिया जरूर होती थी, जिसमें फिर से एग्जाम होता या फिर से उत्तर पुस्तिकाएं चैक होती थी। लेकिन उनके नतीजे इतनी देर बाद आते थे कि साल पास होने के बाद भी खराब हो जाता था। ऐसे में ना उस व्यवस्था की कोई अहमियम रह जाती थी, और ना ही पास होने की खुशी ही रह पाती थी। लेकिन आज का रिजल्ट नजीर बन गया है। इस के लिए शिक्षा मंत्री जी का जितना आभार जताया जाए वह कम ही होगा।