जानकारों के बीच प्रदेश में आपदा प्रबंधन पर होगा मंथन: डा0 धन सिंह रावत

आपदा प्रबन्धन एवं पुनर्वास विषय पर आयोजित होगा 02 दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार
उच्च शिक्षण संस्थानों के विशेषज्ञों ने राज्य में सेमिनार के आयोजन को बताया जरूरी

राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के मध्यनजर आपदा की चुनौतियों से निपटने के लिए शीघ्र आपदा प्रबन्धन एवं पुनर्वास विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया जाएगा, जिसके लिये एक उच्च स्तरीय क्रियान्वयन समिति का गठन किया जाएगा जिसमें राज्य में अवस्थापित विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों के निदेशक एवं विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा। इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति को नोडल अधिकारी नामित किया गया है।
उच्च शिक्षा, सहकारिता, प्रोटोकॉल एवं आपदा प्रबन्धन एवं पुनर्वास राज्य मंत्री डा0 धन सिंह रावत ने आज सचिवालय में आपदा प्रबन्धन विभाग के तत्वाधान में आयोजित वर्चुअल मीटिंग के उपरान्त कही। उन्होंने कहा कि आगामी जून माह में आपदा प्रबन्धन एवं पुनर्वास विषय पर एक राष्ट्रीय स्तर का सेमिनार आयोजित किया जाना है, जिसमें राज्य में आने वाली विभिन्न आपदाओं पर राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर के विषय विशेषज्ञों एवं संबंधित क्षेत्र के वैज्ञानिकों के सुझावों का संकलन कर कार्ययोजना तैयार की जाएगी। ताकि राज्य में आने वाली विभिन्न प्रकार की आपदाओं से आसानी से निपटा जा सके। इसके लिए विभाग को अपने स्तर से सभी तैयारियां करने के निर्देश दे दिए गए है। आज आयोजित वर्चुअल मीटिंग में आई.आई.टी रूड़की, जी.एस.आई. देहरादून, आई.आई.एम. काशीपुर, सी.बी.आर.आई. रूड़की, वाडिया हिमालयन संस्थान देहरादून, उत्तराखण्ड अन्तरिक्ष विभाग, भारतीय मौसम विभाग, यू-सर्क, एन.डी.आर.एफ., आपदा प्रबन्धन एवं पुनर्वास, कुमाऊं विश्वविद्यालय, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा तथा उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय के उच्च अधिकारियों एवं वैज्ञानिकों ने प्रतिभाग किया। बैठक में सभी संस्थानों के शीर्ष अधिकारियों ने वर्षाकाल शुरू होने से पूर्व आपदा प्रबन्धन एवं पुनर्वास को लेकर प्रस्तावित राष्ट्रीय सेमिनार को आवश्यक एवं महत्वपूर्ण बताया।
बैठक के दौरान विभिन्न संस्थानों के निदेशकगणों, कुलपतिगणों एवं विशेषज्ञों ने कहा कि सेमिनार में आपदा संबंधित विभिन्न विषयों को अलग-अलग सेक्टर में विभाजित कर विषय विशेषज्ञों के साथ चर्चा करना आवश्यक है ताकि राज्य में भविष्य में आने वाली तरह-तरह की आपदा संबंधित चुनौतियों से निपटने से एक ठोस कार्ययोजना तैयार कर उसका क्रियान्वयन किया जा सके। सभी वक्ताओं ने इसके लिए एक उच्च स्तरीय क्रियान्वयन समिति के गठन की बात कही जिसपर सहमति जताते हुए विभागीय मंत्री डा0 धन सिंह रावत ने कार्यक्रम के नोडल अधिकारी कुलपति प्रो0 ओ0पी0एस0 नेगी एवं विभागीय सचिव एस.ए.मुरूगेशन को शीघ्र समिति का गठन कर सभी सदस्यों को सूचित करने के निर्देश दिए।
विभागीय मंत्री ने कहा कि क्रियान्वयन समिति के गठन के उपरान्त समिति के सदस्यों के साथ एक बैठक आयोजित कर राष्ट्रीय सेमिनार की रूपलेखा तैयार कर ली जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य में कोविड की तत्कालीन परिस्थितियों को देखते हुए उसी समय तय किया जाएगा कि सेमिनार का आयोजन ऑफलाइन करना है या ऑनलाइन।
बैठक में सचिव आपदा प्रबन्धन एस.ए. मुरूगेशन, वाडिया संस्थान के निदेशक डा0 कालाचंद सैन, आई.आई.टी रूड़की के निदेशक डा0 अजीत कुमार चर्तुवेदी, उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय प्रो. ओ.पी.एस. नेगी, कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एन.के.जोशी, अल्मोड़ा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एन.एस. भण्डारी, सी.बी.आर.आई रूड़की के निदेशक डा0 सुविर सिंह, जी.एस.आई. के उत्तराखण्ड निदेशक डा0 जॉय गोपाल घोष, आई.आई.एम. काशीपुर के निदेशक प्रो0 के. बलूनी, यू-सैक के निदेशक डा. एम.पी.एस बिष्ट, यू-सर्क की निदेशक डा. अनिता रावत, आई.एम.डी. देहरादून के वैज्ञानिक रोहित थपलियाल, डा. आर.के पाधे आदि वैज्ञानिकों एवं अधिकारियों ने प्रतिभाग किया।

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