सरकार और कर्मचारी संगठनों के बीच ज्यादातर अवसरों पर तल्खियां ही नजर आती हैं। खास तौर पर शिक्षक संगठन अपने हितों और प्रभुत्व को लेकर ज्यादा प्रभावशाली ढंग से मुखर होते हैं। लेकिन यदि उनकी मांग और सुझावों पर सही तरीके से मंथन हो तो तल्खियों की कोई वजह नहीं रह जाती।
राजधानी के ननूरखेड़ा स्थित विद्यालयी शिक्षा निदेशालय में आयोजित प्रदेश के शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत के साथ राजकीय शिक्षक की प्रांतीय कार्यकारिणी के पदाधिकारियों की बैठक हुई। इसमें जनपदीय पदाधिकारियों ने भी शिरकत की। यहां शिक्षा मंत्री ने पिथोरागढ़ जैसे दूरस्थ जनपदों से आए पदाधिकारियों को पहले अपनी बात रखने को कहा। दूर से आए पदाधिकारियों से उनके रहने ठहरने पर भी सौहार्द के साथ बातचीत की। यदि कोई पदाधिकारी अपनी बात रखने में अधिक समय लेता और उनके साथी उन्हें बस करने का इशारा करते, बावजूद इसके भी मंत्री ने हर किसी को पूरा समय दिया और उसे बड़ी गंभीरता से सुना भी।
हाईप्रोफाइल बैठक में सचिव शिक्षा रविनाथ रमन समेत, दो अपर सचिव, महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा व अन्य अधिकारियों की मौजूदगी भी थी। पदाधिकारियों की ओर से आ रही समस्याओं के समाधान के लिए मौके पर ही सवाल जबाब हुए। यहां औचित्यपूर्ण मसलों पर तमाम जटिलताओं के बावजूद समाधान की व्यवस्था के लिए प्रावधान किया गया। कुछ को कैबिनेट तक में लाने के लिए मंत्री ने भरोसा दिया। लेकिन जिन मसलों का औचित्य समझ से परे रहा, उन्हें मौके पर ही बाकायदा सामने बैठे पदाधिकारियों समक्ष ही उनकी सहमति के साथ खारिज भी किया गया।
बैठक में पहुंचे कुछ पदाधिकारी सेवानिवृत्ति के नजदीक हैं। लंबे सेवाकाल के उनके अनुभवों के भी अपने मायने स्वाभाविक से हैं। मंत्री की नजर में उनका अनुभव व्यवस्था की बेहतरी के लिए अनमोल है।
लेकिन अपने विभाग के मंत्री और उच्च अधिकारियों के समक्ष खुलकर बोलने का इन अनुभवी लोगों को इससे पहले कभी अवसर ही नहीं मिला। यह शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत की नेतृत्व व सांगठनिक क्षमता और सकारात्मक सोच का ही नतीजा है कि अपने कार्मिकों को खुलकर बोलने का अवसर और उनकी समस्याओं के समाधान की दिशा में सार्थक और संतोषजनक प्रयास इस बैठक में हुए। इस सहृदयता के लिए प्रांतीय अध्यक्ष राम सिंह चौहान समेत सभी पदाधिकारियों ने गदगद भाव से उनका आभार भी जताया।
वहीं इस दुलार के बीच मंत्री ने सभी को अपनी जिम्मेदारियों के प्रति गंभीर होने के साथ ही कार्मिक नियमावली का भी ध्यान रखने की भी नसीहत दी। मंत्री ने कहा कि हर चीज अपनी जगह है, हर चीज का अपना महत्व है, लेकिन स्कूल में बच्चों को बेहतर शैक्षिणिक माहौल देना हम सब के लिए सर्वोपरि है। ध्यान रहे कि हमारी शिक्षा कार्यकारी जीवन में उपयोगी हो, उसकी गुणवत्ता श्रेष्ठ स्तर की हो। सभी पदाधिकारियों ने पूरे मनोयोग से इस पर सहमति जताई। उम्मीद की जानी चाहिए कि शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत और उनके शिक्षकों का यह तालमेल बच्चों को ऐसी शिक्षा देने में सफल होगा जिससे बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सके। मंत्री की यह सोच परिणाम तक पहुंचेगी तो व समाज पर ऋण होगा।