घातक परिणामों से बचने के लिए प्लास्टिक पर प्रतिबंध जरूरी: डॉ जितेंद्र नेगी

– विश्व महासागर दिवस पर राठ महाविद्यालय पैठाणी में आयोजित हुई आनलाइन व्याख्यानमाला

व्याख्यानमाला में विशेषज्ञों ने कहा प्लास्टिक पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाना बहुत जरूरी

सिंगोरी न्यूज़: विश्व महासागर दिवस के अवसर पर राठ महाविद्यालय पैठानी द्वारा आयोजित ऑनलाइन व्याख्यानमाला में प्रतिभाग करने वाले पैठानी, गोपेश्वर और शोलापुर के छात्रों को संबोधित करते हुए कार्यक्रम अध्यक्ष एवम् प्राचार्य डॉ० जितेंद्र कुमार नेगी ने कहा कि महासागरों में करोड़ों टन प्लास्टिक रोज पूरे विश्व में जमा हो रहा है, जिससे समुद्र का परिस्थितिक तंत्र प्रभावित हो रहा है। जैव विविधता समाप्त हो रही है। प्लास्टिक सैकड़ों वर्षों में गलता है, और उसके बाद यह पूरी तरह समाप्त नहीं होता, बल्कि बहुत महीन हिस्से में टूट जाता है, फिर यह मछली के भोजन में शामिल हो जाता है, और बाद में मानव के मछली खाने पर उसके शरीर में चला जाता है। जो कैंसर को जन्म देता है। इसके घातक परिणामों से बचने के लिए प्लास्टिक से ही परहेज किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि विश्व की 40 प्रतिशत आबादी समुद्र तट के 100 किलो मीटर दायरे में निवास करती है। भारत की 15 प्रतिशत आबादी समद्र तट में निवास करती है। व्याख्यान देते हुए श्री अरविन्द कुमार ने कहा इस दिवस को मनाने का प्रमुख कारण समुद्र के महत्व और उनकी वजह से आने वाली चुनौतियों के बारे में जागरूकता फैलाना है। उन्होंने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र का तापमान बढ़ रहा है, और साइक्लोन लगातार आ रहे हैं।
गोपेश्वर पी जी कॉलेज के डॉ भाल चंद सिंह नेगी ने समुद्र में बढ़ते प्रदूषण के लिए मानव की गतिविधि को जिम्मेदार माना। शोलापुर से डॉ संभा जी बन सोदे ने कहा कि हमें विश्व के 71 प्रतिशत छेत्र के बारे में गंभीर होना होगा। इस अवसर पर डॉ राजीव दुबे, डॉ गोपेश सिंह आदि ने भी विचार व्यक्त किए।

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