सिंगोरी न्यूजः उल्लास का पर्व होली इस बार भी कई अच्छी तो कुछ बुरी यादें छोड़कर चला गया। कहीं शांतिपूर्ण रंग बिखरे तो कहीं रंगों की यह महफिल आखिरी रही। लेकिन यहां एक ऐसी होली भी खेली गई जो वाकई अपने आप में अलग है। मानव संवेदनाओं को फिर से जीवित करने वाली है। यानी गरीब के आंसू पोछती यह होली लबालब रंगों के साथ बेदाग है और विंदास भी।
पौड़ी जनपद के कोट क्षेत्र के युवाओं ने छोटी सी पहल की थी जो अब धीरे धीरे अपनी सफलता की ओर बढ़ती नजर आ रही है। युवाओं ने एक संगठन बनाया जिसे नाम दिया महाकाल सेना। नाम से शिवभक्ति प्रतीत होती है लेकिन समाज हित में इस सेना की सक्रियता वाकई सराहनीय है। पर्व और संस्कृति के नाम पर यहां गाना बजाना तो नहीं होता लेकिन यह सेना समाज में कमजोर वर्ग के लोगों की सहायता के लिए हर वक्त तत्पर रहती है। महाकाल सेना के सहयोग से क्षेत्र में कई गरीब परिवारों की बच्चियों की शादियां तक संपंन कराई जा चुकी हैं। यह सेना कमजोर परिवारों की मदद को आर्थिक मदद भी करती है और स्वयं भी काम काज का भी जिम्मा संभालती है। इस नेक और सराहनीय काम के कई उदाहरण भी समाज के सामने रखे हैं। जो इससे पहले खास तौर पर आज के समाज में कम ही देखा गया है।
बात होली की करते हैं तो अबके होली महाकाल सेना के सभी सदस्यों की सुर्ख रंगों के साथ बिंदास भी रही। इनके उल्लास में नाच गाना तो भले ही नहीं था, लेकिन एक ऐसा उल्लास था खुशी थी जिससे आने वाली पीढ़ी भी प्रेरणा लेगी। सेना के प्रमुख सदस्य प्रमोद नेगी बताते हैं कि चंदोला रांई प्रेमनगर में एक गरीब परिवार रहता है। अनूप दनोसी उनकी बच्ची का नाम है रितिका। करीब दो वर्ष पहले की बात है जब रितिका दसवीं कक्षा में पढ़ रही थी। अचानक किसी बीमारी की चपेट में आकर उसे पैरालाइज का झटका पड़ा और वह चलने फिरने में समर्थ हो गई। अपनी सामथ्र्य के हिसाब से उसके परिजनों ने उसके इलाज के प्रयास किए। लेकिन हालात नहीं सुधरे। अस्वस्थता के कारण बच्ची की पढ़ाई भी छूट गई। अब रितिका और उसके परिजनों के सामने लाचारी के सिवा कोई दूसरा रास्ता है ही नहीं। वह घर पर ही रहती है, और गरीब परिजनों ने तो लाचारी में हाथ खड़े कर दिए हैं।
प्रमोद ने बताया कि जैसे ही उन्हंे रितिका के बारे में जानकारी मिली तो इस पर चर्चा हुई कि कैसे उसकी परिवार की मदद की जाए। इत्तेफाक है कि होली का अवसर था। सारी टीम ने रितिका के धर जाकर होली का पर्व मनाया। उसका हाल चाल जाना। क्या हो सकता है, कैसे हो सकता है इस पर चर्चा हुई। उन्हें हर संभव मदद का भरोसा दिया।
रितिका के परिजन बताते हैं कि जब से बच्ची को यह बीमारी लगी है तब से वह अलग थलग सी हो गई है। परिवार की आर्थिक स्थितियां ऐसी नहीं हैं वह इस बेटी का इलाज करा सकें। होली के मौके पर उसका मायूस होना स्वाभाविक सा था। लेेकिन आप सभी लोग घर पर आए। बिटिया से बातचीत की। उसे ढाढस बंधाया तो उसका भी मन कुछ हल्का हो गया। निराश जीवन में उम्मीद की एक किरण सी आ गई है। उन्होंने बताया कि रितिका फिर से अपने पांवों पर चल सकती है, उसका इलाज संभव बताया जा रहा है। लेेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि उसका इलाज कर सके।
युवाओं की इस सेना ने उन्हें भरोसा दिया है कि बेटी के इलाज के लिए कोई न कोई रास्ता तलाशा जायेगा। पूरी कोशिश होगी कि उसका इलाज हो और वह फिर से अपने पांवों पर खड़ी होकर स्कूल जा सके। महाकाल सेना का यह भरोसा उस पीड़ित परिवार में मानो प्राण दे गया। है ना ये होली मजेदार
सेना ने अपने क्षेत्र मे रंगों के बजाए फूलों की होली का भी चलन शुरू किया हैं। प्राथमिक विद्यालय खोलाचैरी में होली का आयोजन किया गयां इसमें नन्हें बच्चों ने राधा कृष्ण की शानदार प्रस्तुतियां दी। लोगों ने एक दूसरे पर फूल बरसा कर जमकर होली मनाई। बड़ी संख्या में लोगों ने इस कार्यक्रम में शिरकत की। सेना के इस प्रयास को भी बहुत सराहा गया। लोगों का कहना है कि आज के समय में होली का त्यौहार हुड़दंग के अलावा और कुछ नहीं रह गया। नशाखोरी तो हद से अधिक हो गई है। होली के मौके पर शराब की बिक्री देख लीजिए। भांग का नशा भी युवा करने लगे हैं। यह गलत रास्ता है। यह पतन का रास्ता है। महाकाल सेना की पहल से यहां जो शुरूआत हुई है उससे पूरे समाज में एक बड़ा संदेश जायेगा। चलते चलते महाकाल के सदस्यों के बारे में बता दें जो मानवता के मिशन को आगे बढ़ा रहे हैं वो हैं विकास रावत महाकाल सेना के अध्यक्ष हैं, इसके अलावा प्रमोद नेगी, भूपेंद्र रावत,सोनू, दीपक केमनी, संजय पंवार, अरूण खर्कवाल, हेमेंद्र कुमार, बिट्टू, अरविंद चंद्र, राहुल भट्ट, सौरभ, राजेंद्र थपलियाल, नवीन पंवार, संजय नवानी, सूर्य प्रकाश, पंकज बडेरी इस संगठन की ताकत हैं।