हिंदी साहित्य जगत के एक शसख्त हस्ताक्षर प्रसिद्ध आलोचक खगेंद्र ठाकुर अब नहीं रहे। सोमवार को पटना के एम्स अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली, वे 83 वर्ष के थे। उनके परिवार में एक पुत्र और दो बेटियां हैं। कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे।
खगेंद्र ठाकुर के निधन से साहित्य जगत की वह क्षति हुई जिसे किसी भी स्तर पर पूरा नहीं किया जा सकता। उनका जन्म 9 सितंबर 1937 को झारखंड के गोड्डा के मालिनी गांव में हुआ था।उन्होंने आलोचना, व्यंग्य, कविता और संस्मरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है।
विकल्प की प्रक्रिया, आज का वैचारिक संघर्ष मार्क्सवाद, आलोचना के बहाने, समय, समाज व मनुष्य, कविता का वर्तमान,
धार एक व्याकुल, रक्त कमल परती देह धरे को दंड उनकी खास रचनाओं में हैं। उनके निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर है।