दुखदः पद्मश्री साहित्यकार गिरीराज किशोर नहीं रहे

सिंगोरी न्यूजः पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार गिरिराज किशोर का रविवार सुबह उनके निवास पर निधन हो गया।वे हिन्दी के प्रसिद्ध उपन्यासकार कथाकार, नाटककार और आलोचक भी थे। इनका उपन्यास ढाई घर अत्यन्त लोकप्रिय हुआ था। वर्ष 1991 में प्रकाशित इस कृति को 1992 में ही साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। गिरिराज किशोर द्वारा लिखा गया पहला उपन्यास गिरमिटिया काफी चर्चा में रहा वह उन्होंने महात्मा गांधी के अफ्रीका प्रवास पर आधारित था। साहित्यकार व आईआईटी कानपुर में कुलसचिव रहे पद्मश्री गिरिराज किशोर का जन्म 8 जुलाई 1937 को मुजफ्फरनगर में हुआ था। उनके पिता जमींदार थे। गिरिराज जी ने कम उम्र में ही घर छोड़ दिया और स्वतंत्र लेखन किया।
गिरिराज किशोर जी के पिता जमींदार थे। मगर, उनको वह पसंद नहीं थी और इसलिए मुजफ्फरनगर के एसडी कॉलेज से स्नातक करने के बाद वह घर से 75 रुपए लेकर इलाहाबाद आ गए। इसके बाद फ्री लांसिंग के तौर पर पेपर व मैगजीन के लिए लेख लिखने लगे और उससे मिलने वाली राशि से खर्च चलते थे।
इलाहाबाद में साल 1960 में एमएसडब्ल्यू पूरा कर अस्सिस्टेंट एम्प्लॉयमेंट ऑफिसर बने और आगरा के समाज विज्ञान संस्थान से उन्होंने 1960 में मास्टर ऑफ सोशल वर्क की डिग्री ली। वह उत्तर प्रदेश में 1960 से 1964 तक सेवायोजन अधिकारी व प्रोबेशन अधिकारी भी रहे। इसके बाद अगले दो वर्ष प्रयागराज में स्वतंत्र लेखन किया। जुलाई 1966 से 1975 तक वह तत्कालीन कानपुर विश्वविद्यालय में सहायक और उपकुल सचिव रहे। साभार

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