सूबे में कितना स्पेश ले पायेगा केजरीवाल का दल ?


(देहरादून से नयन कोठियाल)
देवभूमि उत्तराखंड में अब चुनाव की गर्माहर तेज होने लगी है। खास तौर पर तब से जब दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी ने 2022 में यहां होने वाले चुनावी दंगल में उतरने की ताल ठोकी। आम आदमी पार्टी के सयोंजक व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उत्तराखंड की सभी 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की राजनीति की ठहराव में एक हलचल तेज होने लगी है। इतना ही केजरीवाल के इस एलान से स्थानीय दल भी फिर से हरकत में आने लगे हैं। लेकिन अपने लोग यानी यूकेडी को नहीं पचा सकने वाली उत्तरांखड की जनता आप लोगों को कितना पचा पाती है, यह देखने वाली बात होगी।
बताते चले कि देवभूमि उत्तराखंड को बने 20 वर्ष हो चुके हैं। लेकिन बीजेपी कांग्रेस की यहां बारी लगी रही। स्थानीय दल यूकेडी जिसे इस निर्माण का निसंदेह तौर पर श्रेय जाता है, सियासत के घमासान में वह इन दो दशकों में कहीं नहीं टिक सकी। या यूं कहें कि उसे टिकते पांवों को सत्ता में काबिज दलों ने पूरी तरह से कमजोर कर दिया। मतलब साफ कि राष्टीय दलों को यदि क्षेत्रीय दल को नेस्तनाबूद करने के लिए मिलकर भी चाल चलनी पड़े तो वह चली जाती। सत्ता का मकसद अपनी जगह है लेकिन स्थानीयता को खत्म करने का लक्ष्य दोनों का एक ही है।
ऐसे में अब बड़ा प्रश्न है कि क्या उत्तराखंड की जनता जिसने अपनी माटी के ही दल को सिरे से नकार दिया वह केजरीवाल के दल पर विश्वास कितना भरोसा कर पायेगी।
केजरीवाल दल की चुनौतियों की बात करें तो दिल्ली मॉडल इस पहाड़ में कितना उतर पायेगा। और दूसरी जो सबसे बड़ी समस्या उसके सामने होगी वह चेहरों की होगी। उसे एक मुख्य चेहरा तो तलाशना ही होगा साथ ही सूबे की उन सत्तर विधान सभा सीटों पर भी उसे चेहरे तलाशने होंगे जिस पर केजरीवाल ने ताल ठोकी है। और चेहरों का चुनाव भी उसके विधान सभा चुनाव से पहले का बड़ा चुनाव होगा।

  • नयन कोठियाल

About The Singori Times

View all posts by The Singori Times →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *