यूं ही कोई महेंद्र राणा नहीं बन जाता, 350 गरीब बच्चों का गोद लेने वाले एकमात्र नेता हैं महेंद्र

उत्तराखंड के इतिहास में यह पहला मौका है जब यह लिखने को मिल रहा है कि किसी नेता ने सैकड़ों की तादाद में गरीब बच्चों को गोद लिया है। गोद यानी उन बच्चों की पढ़ाई लिखाई से लेकर हर जरूरत की जिम्मेदारी उठाने का साहस। जो अतुलनीय तो है ही सराहनीय भी है। गत दिनां शिक्षक दिवस के अवसर पर उन्होंने क्षेत्र के शिक्षकां से शिक्षा व्यवस्था और बेहतर करने का अनुरोध किया, और यही खूबियां हैं जो महेंद्र राणा को अन्य नेताओं से अलग और उत्कृष्ट बनाती हैं।

पौड़ी जनपद के विकास खंड कल्जीखाल के रहने वाले महेंद्र सिंह राणा को स्थानीय राजनीति का पुरोधा माना जाता है। उनकी लोकप्रियता का फैलाव इस कदर है कि प्रतिद्वंदिता के नाम पर उनके सामने कोई दूर तलक दिखता तक नहीं है। बता चलें, कि महेंद्र राणा दो बार कल्जीखाल विकास खंड के प्रमुख रहे। वर्तमान में वह कल्जीखाल से ही सटे द्वारीखाल के ब्लाक के प्रमुख हैं। और अब कल्जीखाल ब्लाक की कमान उनकी धर्मपत्नी बीना राणा संभाल रही हैं।
पंचायतों की राजनीति में जहां ग्राम प्रधान तक के पद पर बिरले ही दोबारा से चुनाव जीतते हैं वहीं कल्जीखाल में उनका एकछत्र दबदबा और बाहर के ब्लाक में जाकर खुद को साबित करने का माद्दा भी उन्हें प्रदेश के अन्य राजनीति करने वालों से अलग करता है। आम जनमानस में उनकी लोकप्रियता का ही नतीजा है कि प्रदेश प्रमुख संगठन ने भी उन्हें दूसरी बार अपना मुखिया बनाया है।
बात चाहे कल्जीखाल ब्लाक की कायाकल्प की हो या ब्लाक की कार्यप्रणाली में अपूर्व सुधार की, महेंद्र राणा ने पूरे प्रदेश में बड़े उदाहरण प्रस्तुत किए हैं। सरकारी रवैए से जहां आम जन मानस के भटकने की शिकायतें में आम होती हैं वहीं राणा के राज में आम लोगों की समस्या का समाधान प्राथमिकता से करने के सख्त निर्देश हैं। जिनका पालन हर हाल में होना है। काम करने का तरीका इतना बेहतर है कि उनके अधीन काम करने वाले अधिकारी, कर्मचारी उनके सख्त रवैए से डरते नहीं हैं बल्कि जन सेवक की खूबियों के लिए उनके कायल हैं। सिस्टम की इच्छाशक्ति के कारण सब कुछ अपेक्षाओं के अनुरूप और सुखद है।
बात चाहे कोरोना महामारी की हो या क्षेत्रवासियों के निजी संकट की, महेंद्र हर किसी के साथ मोचक की भूमिका में नजर आते हैं। आर्थिक रूप से कमजोर व जरूरतमंद तो उन्हें किसी फरिस्ते से कम नहीं मानते। ग्रामीणों का मानना है कि हर वह समस्या जो उनके नेता महेंद्र राणा तक पहुंच जाए उसका सकारात्मक निदान तय हो जाता है।
द्वारीखाल विकास खंड के 350 गरीब बच्चों को महेंद्र राणा ने गोद लिया है। उनकी पढ़ाई लिखाई जिम्मेदारी से लेकर उनके भविष्य निर्माण के हर प्रयासों का उनका संकल्प है। क्षेत्र के विकास के साथ ही महेंद्र अब शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। इस अभियान में वह गुरूजनों का भी सहयोग मांग रहे हैं।
राणा की इन खूबियों के चलते कल्जीखाल ब्लाक के होने के बावजूद द्वारीखाल ब्लाक के लोगों ने उन्हें अपना नेता माना, और अब आस पास के ब्लाक यमकेष्वर व दुगड़डा ब्लाक के लोग भी अपनी फरियाद लेकर उनके पास आते हैं।
द्वारीखाल के महज डेढ साल के कार्यकाल में क्षेत्र के 350 बच्चों को गोद लेने से लेकर, डाडामंडी गेंद मेले का मंच निर्माण, तीन पत्ती कांडाखाल में षहीद स्मारक, चोलूसैंण में ब्यू प्वांइट, विकास खंड द्वारीखाल में खेल मैदान, कार्यालय भवन, आधार कार्ड कार्यालय, ब्लाक की रोड, सिलोगी में पार्किंग व्यवस्था आदि ऐसे काम हुए हैं जिनकी किसी तुलना नहीं की जा सकती। विकास योजनाओं से उन्होंने रोजगार के अवसर निकाले जिससे सैकड़ों लोगों की आजीविका भी चल रही है।

सही मायनों में राणा की कार्यशैली पंचायत राज व्यवस्था के अक्षरशः अनुरूप है। यही कारण रहा कि पहले लगातार दो बार कल्जीखाल ब्लाक और तीसरी बार द्वारीखाल ब्लाक को देश भर में पंडित दीन दयाल उपाध्याय पंचायती राज के प्रथम पुरस्कार से नवाजा गया। पहली बार पूर्व प्रधान मंत्री डा मनमोहन सिंह और दो बार स्वयं प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें देश भर में प्रथम पुरूस्कार से सम्मानित कर चुके हैं। ब्लाक व जनपद से निकलकर राणा की कीर्ति अब प्रदेश भर में है। कल्जीखाल के साथ द्वारीखाल व आसपास के ब्लाक दुगड़डा और यमकेश्वर की जनता के बीच में वह खासे लोकप्रिय भी हैं। सच में यूं ही कोई महेंद्र राणा नहीं बन जाता।

About The Singori Times

View all posts by The Singori Times →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *