लाल किले की प्राचीर से बोले पीएम मोदी, आत्मनिर्भर बनना ही होगा

सिंगोरी न्यूजः स्तंत्रता दिवस के मौके पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत की बात जोर दिया। सुरक्षा की बात की, राममंदिर की बात। लाल किले की प्राचीर से देश को दिए संदेश में पीएम मोदी ने कहा कि बीते वर्ष मैंने यहीं लाल किले से कहा था कि पिछले पाँच साल देश की अपेक्षाओं के लिए थे, और आने वाले पाँच साल देश की आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए होंगे. बीते एक साल में ही देश ने ऐसे अनेकों महत्वपूर्ण फैसले लिए, अनेकों महत्वपूर्ण पड़ाव पार किए।
आज भारत ने असाधारण समय में असंभव को संभव किया है. इसी इच्छाशक्ति के साथ प्रत्येक भारतीय को आगे बढ़ना है. वर्ष 2022, हमारी आजादी के 75 वर्ष का पर्व, अब बस आ ही गया है.
21वीं सदी के इस दशक में अब भारत को नई नीति और नई रीति के साथ ही आगे बढ़ना होगा. अब साधारण से काम नहीं चलेगा।


उन्होंने कहा कि हमारे पड़ोसी चाहे जमीन से जुड़े हों या समंदर से. हम उन सभी पड़ोसी देशों को जोड़ रहे हैं. हम अपने पड़ोसी देशों के साथ आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जुड़ाव को और गहरा कर रहे हैं. दक्षिण एशिया में दुनिया की एक चैथाई आबादी रहती है।
दक्षिण एशिया के नेताओं को इस विशाल आबादी के विकास में साथ मिलकर काम करने की जरूरत है. इस पूरे इलाके में जितनी शांति होगी उतनी ही यह मानवता के हित में होगा. आज सिर्फ पड़ोसी वही नहीं हैं जिनसे हमारी भौगोलिक सीमाएं मिलती हैं बल्कि वो भी हैं जिनसे दिल मिलता है।
बीते कुछ समय में भारत ने अपने संबंधों को और मजबूत किया है. पश्चिम एशिया से हमारे संबंध और गहरे हुए हैं. इन देशों के साथ ऊर्जा क्षेत्र में भागीदारी बहुत अहम है. इन देशों में बड़ी संख्या में हमारे भारतीय भाई बहन काम कर रहे हैं. इन देशों ने कोरोना काल में भारतीयों की जिस तरह से मदद की उसके प्रति हम आभार प्रकट करते हैं।
कहा कि ये एक साल जम्मू कश्मीर की एक नई विकास यात्रा का साल है. ये एक साल जम्मू कश्मीर में महिलाओं, दलितों को मिले अधिकारों का साल है. ये जम्मू कश्मीर में शरणार्थियों के गरिमापूर्ण जीवन का भी एक साल है।
हम सभी के लिए गर्व की बात है कि जम्मू-कश्मीर में स्थानीय इकाइयों के जनप्रतिनिधि सक्रियता और संवेदनशीलता के साथ विकास के नए युग को आगे बढ़ा रहे हैं.
बीते वर्ष लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाकर, वहां के लोगों की बरसों पुरानी मांग को पूरा किया गया है. हिमालय की ऊंचाइयों में बसा लद्दाख आज विकास की नई ऊंचाइयों को छूने के लिए आगे बढ़ रहा है.
जिस प्रकार से सिक्कम ने ऑर्गैनिक स्टेट के रूप में अपनी पहचान बनाई है, वैसे ही आने वाले दिनों में लद्दाख, अपनी पहचान एक कार्बन न्यूट्रल क्षेत्र के तौर पर बनाए, इस दिशा में भी तेजी से काम हो रहा है.
हमारा अनुभव कहता है कि भारत में महिलाशक्ति को जब-जब भी अवसर मिले, उन्होंने देश का नाम रोशन किया, देश को मजबूती दी है. आज भारत में महिलाएं अंडरग्राउंड कोयला खदानों में काम कर रही हैं तो लड़ाकू विमानों से आसमान की बुलंदियों को भी छू रही हैं. देश के जो 40 करोड़ जनधन खाते खुले हैं, उसमें से लगभग 22 करोड़ खाते महिलाओं के ही हैं. कोरोना के समय में अप्रैल-मई-जून, इन तीन महीनों में महिलाओं के खातों में करीब-करीब 30 हजार करोड़ रुपए सीधे ट्रांसफर किए गए हैं.
नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन की शुरुआत की जाएगी. सभी नागरिकों को एक हेल्थ आईडी दी जाएगी और इसमें हेल्थ से जुड़े सभी रिकॉर्ड रहेंगे। कोरोना को लेकर नागरिकों चिंता है. सब यह जानना चाहते हैं कि वैक्सीन कब आएगी. मै आपको बताना चाहता हूं कि भारत में एक नहीं बल्कि तीन-तीन वैक्सीन अलग-अलग चरणों में ट्रायल की प्रक्रिया में हैं. एक बार मंजूरी मिलने के बाद हम व्यापक पैमाने पर इसका उत्पादन करेंगे. देश के किसानों को आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर देने के लिए कुछ दिन पहले ही एक लाख करोड़ रुपए का ‘एग्रीकल्चर इनफ्रास्ट्रक्चर फंड’ बनाया गया है. इसी लाल किले से पिछले वर्ष मैंने जल जीवन मिशन का ऐलान किया था. आज इस मिशन के तहत अब हर रोज एक लाख से ज्यादा घरों को पानी के कनेक्शन से जोड़ने में सफलता मिल रही है.
मध्यम वर्ग से निकले प्रोफेशनल्स भारत ही नहीं पूरी दुनिया में अपनी धाक जमाते हैं. मध्यम वर्ग को अवसर चाहिए, मध्यम वर्ग को सरकारी दखलअंदाजी से मुक्ति चाहिए. ये भी पहली बार हुआ है जब अपने घर के लिए होम लोन की म्डप् पर भुगतान अवधि के दौरान 6 लाख रुपए तक की छूट मिल रही है. अभी पिछले वर्ष ही हजारों अधूरे घरों को पूरा करने के लिए 25 हजार करोड़ रुपए के फंड की स्थापना हुई है. एक आम भारतीय की शक्ति, उसकी ऊर्जा, आत्मनिर्भर भारत अभियान का बहुत बड़ा आधार है. इस ताकत को बनाए रखने के लिए हर स्तर पर, निरंतर काम हो रहा है.
आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में, आधुनिक भारत के निर्माण में, नए भारत के निर्माण में, समृद्ध और खुशहाल भारत के निर्माण में, देश की शिक्षा का बहुत बड़ा महत्व है. इसी सोच के साथ देश को एक नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति मिली है.
पीएम मोदी ने कहा कि आखिर कब तक हमारे ही देश से गया कच्चा माल, अंतिम उत्पाद बनकर भारत में लौटता रहेगा. एक समय था, जब हमारी कृषि व्यवस्था बहुत पिछड़ी हुई थी. तब सबसे बड़ी चिंता थी कि देशवासियों का पेट कैसे भरे.लेकिन आज हम सिर्फ भारत ही नहीं, दुनिया के कई देशों का पेट भर सकते हैं.
आत्मनिर्भर भारत का मतलब सिर्फ आयात कम करना ही नहीं, हमारी क्षमता, हमारी रचनात्मकता को बढ़ाना भी है. सिर्फ कुछ महीना पहले तक छ-95 मास्क, च्च्म् किट, वेंटिलेटर ये सब हम विदेशों से मंगाते थे. आज इन सभी में भारत, न सिर्फ अपनी जरूरतें खुद पूरी कर रहा है, बल्कि दूसरे देशों की मदद के लिए भी आगे आया है.


कौन सोच सकता था कि कभी देश में गरीबों के जनधन खातों में हजारों-लाखों करोड़ रुपए सीधे ट्रांसफर हो पाएंगे? कौन सोच सकता था कि किसानों की भलाई के लिए ।च्डब् एक्ट में इतने बड़े बदलाव हो जाएंगे. भारत एक बार ठान लेता है तो करके रहता है. हमारे युवाओं और महिलाओं में अप्रतिम क्षमता है. हम आत्मविश्वास से भरा भारत चाहते हैं. हम आत्मनिर्भर भारत चाहते हैं. हमारे लिए विश्व एक परिवार है.
आर्थिक विकास हो लेकिन मानवता के लिए जगह होनी चाहिए. आज दुनिया जुड़ी हुई है इसलिए समय की मांग है कि विश्व अर्थव्यवस्था में भारत का योगदान बढ़ना चाहिए. अगर भारत का योगदान बढ़ाना है तो भारत को आत्मनिर्भर होना होगा. हमारे देश में अथाह प्राकृतिक संपदा है. हमारे पास क्या नहीं है. हम दुनिया को कब तक कच्चा माल भेजते रहेंगे. हम कच्चा माल भेजते हैं और फिर उससे बनी चीजें ख़रीदते हैं. ये खेल कब तक चलेगा?
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना के इस असाधारण समय में, सेवा परमो धमर्रू की भावना के साथ, अपने जीवन की परवाह किए बिना हमारे डॉक्टर्स, नर्से, पैरामेडिकल स्टाफ, एंबुलेंस कर्मी, सफाई कर्मचारी, पुलिसकर्मी, सेवाकर्मी, अनेको लोग, चैबीसों घंटे लगातार काम कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि इसी दौर में भारत ने आत्म निर्भर बनने का प्रण लिया है. भारत जैसे देश के लिए आत्मनिर्भर होना अनिवार्य है.

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