सिंगोरी न्यूजः मंडल मुख्यालय पौड़ी में कांग्रेसी आज बहुत गुस्से में दिखे। इस बार गुस्से कारण डीजल पेट्रोल महंगाई नहीं बल्कि वह रिखणी खाल का वह बेहद संवेदनशील मसला रहा जिसने लचर व्यवस्थाओं की जर्जर हालत को सामने ला दिया है। जिसकी लापरवाही से दो जिंदगियां चल बसी। जिला अस्पताल में पहुंचे कांग्रेस नगर अध्यक्ष विनोद बिष्ट, प्रदेश सचिव सरिता नेगी, जिला उपाध्यक्ष विनोद दनोशी अनूप कंडारी, राहत हुसैन, अनूप कण्डारी, अजय राणा, गौरव सागर, युद्ववीर सिंह, आंस्कर रावत, रोहितगुसाई, नवीन काकू, नितित विष्ट, अमन नेगी, कार्तिक बिष्ट आदि ने लचर व्यवस्थाओं की भेंट चढ़ी रिखणीखाल ब्लाक निवासी श्वाति ध्यानी की आत्मिक शांति के लिए प्रार्थना की और श्रद्धांजलि स्वरूप दो मिनट का मौन भी रखा। और जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवई की भी मांग उठाई।
बता दंे कि बीते 28 जून को जनपद के रिखणीखाल ब्लाक निवासी स्वाति ध्यानी के परिजन उसे प्रसव के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मे लाते हैं। वहां उसकी डिलीवरी कराई जाती है लेकिन बच्चा मृत पैदा होता है। इतना ही नहीं स्वाति की तबीयत भी बिगड़ जाती है, उसकी जान पर बन आती है। स्थितियों को बिगड़ते देख अस्पताल प्रशासन उसे हायर सेंटर रैफर करता है। बेहतर होता कि उसे पहले ही रैफर किया जाता। वह हायर सेंटर भी इतनी दूर था कि वहां पहुंचते पहुंचते स्वाति की मौत हो जाती है। मात्र 22 वर्षीय इस अभागी श्वाति की दुनिया पूरी तरह से नेस्तनाबूद हो जाती है। और यहां का सिस्टम हाथ पर हाथ धरे उसी ढर्रे पर रहता है जिसे आम बोल चाल की भाषा में सरकारी राजकाज कहा जाता है। इस लिहाज से कांग्रेसी आज सड़क पर उतरे हैं। व्यवस्था व सरकार की मुखालफत करने उतरते हैं तो उनकी सराहना की भी जानी चाहिए। नगर अध्यक्ष कांग्रेस विनोद बिष्ट, विनाद दनोसी कहते हैं कि हम यानी कांग्रेसी इस घटना का विरोध करते हैं, यह सरकार का नाकारापन है।
एनएसयूआई के गौरव सागर कहते हैं कि अस्पतालों की खराब स्थिति की ओर कई बार सरकार व प्रशासन का ध्यान खींचा गया, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।
श्वाति के घटनाक्रम के बाद वहीं एक महिला ने सोशल मीडिया पर अपनी पीड़ा को लिखा था कि वह बीस साल से चलने फिरने में असमर्थ है और उसका जिम्मेदार हमारे पहाड़ों का यही लचर सिस्टम है। बहरहाल विरोध स्वरूप उठाई गई कांग्रेस की यह आवाज कहां तक पहुंचती है यह तो समय बताएगा। लेकिन बेहतर होगा कि इस तरह की आवाजें उठती रहें। और सत्ता में भी कुछ हलचल होती रहे।