नाबालिग का अपहरण व हत्या के अभियुक्त को आजीवन कारावास

पौड़ी। (देवेन्द्र बिष्ट) विशेष सत्र न्यायाधीश (पोक्सो) आशीष नैथानी की अदालत ने बुधवार को नाबालिग लड़की के अपहरण व हत्या के अभियुक्त को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही अभियुक्त को अर्थदंड से भी दण्डित किया। कैप कोर्ट कोटद्वार में सजा सुनाई गई।
ए डी जी सी विजेंद्र सिंह रावत ने बताया कि थाना कोटद्वार के अंतर्गत 5 अगस्त 2019 को एक नाबालिग लड़की अचानक अपने घर से लापता हो गयी। परिजनों ने बहुत खोजबीन की परन्तु लड़की का कोई पता नही चला। तब गुमशुदा के पिता ने अगले दिन थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई। पुलिस द्वारा गठित टीम ने शहर के विभिन्न हिस्सों में गुमशुदा की तलाश की। इसी क्रम में पुलिस ने स्थानीय दुकानों व प्रतिष्ठानों के सी सी टी वी फुटेज को भी खंगाला।

एक दुकान की रिकॉर्डिंग में यह तथ्य प्रकाश में आया कि एक संदिग्ध व्यक्ति पांच अगस्त को गुमशुदा को अपने साथ ले जाते हुए दिखाई दे रहा है। इस आधार पर संदिग्ध की पहचान अभियुक्त पदम् थापा के रूप में हुई। गुमशुदा की स्कुल की भोजन माता ने भी यह बात पुलिस को बताई कि अभियुक्त गुमशुदगी के दूसरे दिन गुमशुदा के बारे में पता करने स्कूल आया था। चाय की ठेली लगाने वाले एक व्यक्ति ने भी पुलिस को बताया कि गुमशुदगी के दिन अभियुक्त गुमशुदा को लेकर उसके ठेले में आया था। उसने गुमशुदा को एक बेकरी वाला समोसा और टॉफी लेकर दी थी। इस गवाह ने मजिस्ट्रेट के सामने अपने बयान को साबित किया।

7अगस्त को अभियुक्त को जब पूछताछ के लिए पुलिस ने बुलाया तो उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया और बताया कि इस घटना को एक अन्य व्यक्ति अशोक के साथ मिलकर अंजाम दिया है। उन्होंने गुमशुदा को बहला फुसला कर उसके घर से बुलाया और बाद में उसकी हत्या कर दी और शव झाड़ी में फेंक दिया। अभियुक्त की निशानदेही पर घटना स्थल से एक कंकाल बरामद हुआ। पास में ही गुमशुदा का एक सेंडिल भी बरामद हुआ। विधि विज्ञानं प्रयोगशाला ने कंकाल व गुमशुदा के माता पिता के डी एन ए सैंपल में मिलान पाया।
विवेचना उपरांत अभियुक्तगणों के विरुद्ध आरोप पत्र प्रेषित किया गया। अभियोजन की ओर से 35गवाह पेश किये गये। दोनों पक्षो के तर्क सुनने के बाद विशेष लोक अभियोजक पौड़ी की अदालत ने अभियुक्त पदम् थापा को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के अंतर्गत आजीवन कारावास व् पचास हजार अर्थदंड, धारा 364 के अंतर्गत दस वर्ष का कारावास व् बीस हजार अर्थ दंड तथा धारा 201 के अंतर्गत सात वर्ष की सजा व पांच हजार अर्थदंड की सजा सुनाई। सभी सजायें साथ-साथ चलेंगी।

न्यायालय द्वारा मृतिका के परिवार को प्रतिकर दिलाये जाने हेतु जिला विधिक सेवा प्राधि. को निर्देशित किया है। अभियुक्त अशोक के खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य नही होने के कारण उसे विचारण न्यायालय द्वारा दोष मुक्त कर दिया गया।

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