यूं तो सियासत की तासीर में तल्खी का भाव अधिक देखा जाता है। आए दिन सत्ता के मद में तमो गुण प्रभावी होने की खबरें अब आम सी हो गई हैं। लेकिन प्रदेश के शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत जैसे भी नेता हैं जो समाज को डाउन टू अर्थ का अर्थ अपने स्वभाव व कार्यप्रणाली से बखूबी समझाते हैं।
शास्त्रों में कहा गया है कि विद्या ददाति विनयं, अगर किसी को ज्ञान होगा तो वह विनम्र होगा, यानी उसे घमंड किसी भी सूरत में नहीं हो सकता। फिर सत्तानशीं ही क्यों न हो।
धनदा की स्वभावगत विशेषताएं उनकी काबिलियत और जनहितों के प्रति दृढ़इच्छा शक्ति उनके प्रभाव में इजाफा करती है। वह अपने को मिली जिम्मेदारियों को बेहद संजीदगी के साथ निभाते हैं। वहीं आमजन से उनका जुड़ाव देखते ही बनता है। बोर्ड परीक्षाओं के नतीजे घोषित करने के बाद शिक्षा मंत्री ने प्रदेश के टॉपरों से बातचीत की। उसमें जो आत्मीयता का भाव सामने आया वह अद्वितीय है। टॉपर से लेकर परिजन तक उनके आत्मीय व्यवहार से गदगद होते जाते हैं। मिठै ल्या बजार बटी पैसा छैं छन इस लहजे में हर किसी को गदगद करने की ताकत है। और यही विनम्रता धनदा की ताकत है।
इसीलिए तो कहते हैं कि धनदा जैसा कोई नहीं। आप खुद ही सुन लीजिए।