गलत हैं वो लोग, जिनके किस्सों में पौड़ी जनपद का सबसे बड़ा गांव कठूलस्यूं पट्टी के कठूली गांव के बजाए कोई और आता है। हां लेकिन जानकारी का अभाव और नजरिए का सिद्धांत ऐसा करा सकता है।
बता दें कि क्षेत्रफल की दृष्ठि से हो या आबादी के लिहाज से, कठूली गांव जनपद का सबसे बड़ा गांव है। इसमें किसी तरह के तीन पांच की कोई गुंजाइश नहीं रहती। यहां तीन ग्राम पंचायतें और तकरीबन पांच सौ परिवार है। और प्रदेश की राजनीति में खासा वजन रखने वाले बारह से पंद्रह सौ के करीब यहां मतदाता हैं। दर्जनभर से अधिक मोहल्ले तो यहां आबादी और परिवारों के हिसाब से बाहर के कई गांवों को भी पानी भरवाते दिख जाएंगे।
जिस गांव के नाम पर पूरी पट्टी कठूलस्यूं हो, जिसकी परिधि में श्रीनगर जैसा शहरी क्षेत्र समेत दर्जनों गांव शामिल हों, उसकी विराटता पर प्रश्नवाचक का कोई अस्तित्व नहीं रह जाता।
खैर असल मुद्दे पर आते हैं।
सूचना क्रांति के युग में कठूली गांव के ग्रामीणों के सोशल मीडिया पर ग्रुप्स बने हैं। जिसमें हाल कुशल से लेकर सभी जानकारियों को लोग साझा करते हैं। लेकिन इसमें समय समय पर होने वाले जन जागरूकता के प्रयास सराहनीय तो हैं ही प्रेरणादायी भी हैं।
हाल ही में यहां के कठूली चेतना परिवार गु्रप में एक सूचना स्थानीय निवासी आलम सिंह नाम के यूजर्स द्वारा डाली गई, जिसमें गांव के नजदीक गुलदार के घूमने की बात कही गई और यूजर द्वारा सभी ग्रामीणों से घरों से अकेले न निकलने व स्कूली बच्चों की आवाजाही पर खास ध्यान देने का आग्रह किया गया।
इस सूचना पर पहले से अलर्ट चल रहे लोग और अधिक सचेत हो गए। बताया जा रहा है कि गुलदार दिन में ही खेतों में गुर्राते हुए निर्भीकता से घूम रहा है। जन जागरूकता का परिणाम है कि लोग सजग हुए हैं। और यही नहीं वन विभाग भी एक्शन में आया है।
एक अन्य यूजर कुलवीर सिंह नेगी ने पोस्ट किया है कि कोटगदना में कई दिनों से बाघ दिख रहा है। जिसे पकड़ने के लिए जंगलात की टीम पहुंच रही है। सभी लोग जंगलात की टीम का सहयोग करें। यानी एक बड़े खतरे का सुरक्षित समाधान इस सकारात्मकता से निकलने वाला है।
पहाड़ के गांवों में गुलदार के हमलों में जान गंवाने की खबरें आए दिन आती रहती हैं। हृदयविदारकता के उस चरम में कहीं गोद सूनी होती हैं, तो कहीं मांग। तो कहीं पर मां का आंचल ही खूनी पंजों की चपेट में आकर राख हो जाता है। विश्लेषण बताते हैं कि कहीं न कहीं गांवों में जन जागरूकता का अभाव भी इस तरह की असहनीय पीड़ाओं को नजदीक लाता है।
कठूली गांव में गुलदार के खतरे से निपटने के लिए सोशल मीडिया का यह उपयोग निश्चित रूप से सकारात्मक और सराहनीय तो है ही, विवेकी व बुद्धिमत्तापूर्ण है। गुलदार प्रभावित अन्य गांवों के लोगों को भी समन्वय बनाकर जागरूकता के प्रयास करने चाहिए, ताकि खतरों से निपटा जा सके। इसीलिए पुरानों की कहावत है कि बड़े गांव की बड़ी बात। जन जागरूकता के लिए साधुवाद।
Photo: Mannu Dada Blogs