नम हुई आंखेंः तिरंगा कफन ओढ़कर लौटे ‘माई के लाल’

उस मां के दर्द को भला कौन माप सकता है, जिसका लाडला जाते हुए उसके पांवों को छूकर सीना तानकर देश की शहरद पर जाए और कुछ समय बाद कुशलछेम की जगह उसकी शाहदत की खबर से मिले।
खैर मां भारती ने असंख्य वीर बलिदानी पैदा किए हैं तो वीरांगनाएं भी जन्मी हैं। नेगीदा ने भी अपने दायित्व निर्वहन करते हुए सरहदों पर शहीद होेने वाले बलिदानियों पर बेहद मार्मिक गीत गाए। आज देवभूमि के दो जांबाज शहीद पौड़ी जिले के कोटद्वार निवासी राइफलमैन गौतम कुमार (29) और चमोली जिले के बमियाला गांव के वीरेंद्र सिंह तिरंगे का कफन ओढ़े पूरे सैन्य सम्मान के साथ अपने घर लौटे हैं, ऐसे में नेगीदा की वह रचना यहां याद आनी लाजमी है।

पैली त्वे चिट्ठी मिललि कि तार माँजी बोली नि सकदू मी..
देश रक्षा की कसम खईं कसम तोड़ी नी सकदु मी..
तिरंगा कफन मिलू ये आखिरी ख़्वेश चा तू उदास ना ह्वे माँ..
यखुली नि छे तू तेरा दगड़ा सैरो देश चा तू उदास ना ह्वे माँ …

देहरादूनः बीते गुरूवार को पुंछ के बफलियाज पुलिस स्टेशन मंडी रोड पर आतंकियों से लोहा लेते हुए सेना के पांच जवानों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया था। इसमें उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल के दो वीर पौड़ी जिले के कोटद्वार निवासी राइफलमैन गौतम कुमार (29) और चमोली जिले के बमियाला गांव के वीरेंद्र सिंह भी थे।


मां भारती के चरणों में सर्वाेच्च बलिदान देने वाले सैन्यभूमि उत्तराखण्ड के दो वीर सपूतों कोटद्वार निवासी राइफलमैन गौतम कुमार जी और चमोली के बीरेंद्र सिंह जी के पार्थिव शरीर आज सुबह देवभूमि के जॉलीग्रांट हवाई अड्डे पर पहुंचे। यहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उनके वलिदान को याद करते हुए उन पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
कहा कि राष्ट्र रक्षा हेतु आपके द्वारा दिया गया बलिदान सदैव हम सभी को राष्ट्र सेवा के लिए प्रेरित करता रहेगा।
विनम्र श्रद्धांजलि !

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