सिंगोरी न्यूजः सिने जगत के वास्तव में दिग्गज कलाकार इरफान खान और गौमांस के कारण देश की नजरों में गिरे ऋषि कपूर के निधन के साथ ही देश ने एक ऐसी हस्ती को खो दिया जिसने दुनिया के सामने देश का लोहा मनवाया। भारत के फुटबॉल इतिहास के एक दिग्गज स्तंभ रहे चुन्नी गोस्वामी का निधन हो गया है. 82 वर्षीय गोस्वामी ने गुरुवार को कोलकाता में लंबी बीमारी के बाद अंतिम साँसें लीं.उनके परिवार के एक सूत्र ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, उन्हें कार्डिएक अरेस्ट हुआ और शाम 5 बजे अस्पताल में वो चल बसे।
चुन्नी गोस्वामी की कप्तानी में भारत ने 1962 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था.वो क्रिकेटर भी थे और उन्होंने बंगाल की रणजी टीम की कप्तानी भी की.चुन्नी गोस्वामी की मृत्यु से पहले पिछले महीने 20 मार्च को भारत के एक और दिग्गज फुटबॉलर पी.के बनर्जी ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया था.60 के दशक में भारतीय फुटबॉल अपने स्वर्णिम दौर में था और तब इस टीम में तीन दिग्गजों का जलवा था – पी के बनर्जी, चुन्नी गोस्वामी और तुलसीदास बलराम.इस ख़तरनाक तिकड़ी ने भारत को अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल में कई सफलताएँ दिलवाईं. भारत ने 1962 में जकार्ता में 1951 के बाद दूसरी बार स्वर्ण पदक जीता.
1956 में इसी तिकड़ी की बदौलत भारत मेलबोर्न में हुए ओलंपिक में सेमीफाइनल तक पहुँचा था. भारत इस स्तर तक पहुँचने वाला एशिया का पहला देश था.
चुन्नी गोस्वामी का जन्म अविभाजित बंगाल के किशोरगंज जिले में हुआ था जो अब बांग्लादेश में है. उनका असल नाम सुबिमल गोस्वामी था मगर वो अपने छोटे नाम से ही जाने जाते रहे.वे कोलकाता के प्रख्यात मोहन बागान क्लब के लिए खेला करते थे और 1960 से 1964 तक वे टीम के कप्तान रहे.गोस्वामी ने 1956 से 1964 के बीच भारत के लिए 50 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले जिनमें 1960 का रोम ओलंपिक भी शामिल है.
वे क्रिकेटर भी थे और उन्होंने बंगाल की ओर से प्रथम श्रेणी के मैच भी खेले थे. 1962 से 1973 के बीच गोस्वामी ने बंगाल की ओर से 46 फर्स्ट क्लास मैच खेले.1971-72 में चुन्नी गोस्वामी को बंगाल की रणजी टीम का कप्तान भी बनाया गया.उनकी कप्तानी में बंगाल की टीम उस साल रणजी ट्रॉफी के फाइनल तक पहुँची थी जहाँ वे बॉम्बे की टीम से हारे. चुन्नी गोस्वामी को 1963 में अर्जुन पुरस्कार और 1983 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया. साभार