सिंगोरी न्यूजः अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य राजपाल बिष्ट ने कोरोना काल में उपजे आर्थिक असंतुलन की ओर सरकार का ध्यान खींचा है। और इस दिशा गंभीरता से सोचने आग्रह भी प्रदेश सरकार से किया है। उनका कहना है कि कोरोना जैसी महामारी की मार यूं तो पूरे विश्व के अर्थतंत्र पर पड़ी है। जिसकी भरपाई हेतु हर स्तर पर प्रयास भी किए जा रहे हैं। भारत में एक और जहां कोरोना से देशवासियों को सजग करने व बचाने की आवश्यकता है, तो वहीं दूसरी ओर भयावह स्थिति वह है जो रोजगार छिन जाने के कारण कमजोर और गरीब वर्ग को भुखमरी के कगार पर पहुंचा सकती है। घोषित राष्ट्रव्यापी लाॅकडाऊन से सभी मानवीय सामाजिक गतिविधियां बंद है। बेहद महत्वपूर्ण खाद्य एवं चिकित्सा आवश्यकता की आपूर्ति ही संभव हैं। समाज रचित बाजार पूर्णतयः ध्वस्त हैं। जनता सरकारों के प्रबंधन पर ही निर्भर है। जो बेहद प्राकृतिक निर्भरता और समाजवादी समाज का सूचक भी हैं।
लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं निशुल्क उपलब्ध होती हैं। उत्तराखंड राज्य में अभी तक हम राजकीय स्तर पर शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में गुणवत्ता और बेहतर ढांचा तैयार नहीं कर पाए हैं। जिस कारण श्रेष्ठ से श्रेष्ठतम बनने की चाह में हम शिक्षा और चिकित्सा के निशुल्क और सस्ते विकल्पों से दूर निजी और महंगे बाजारवादी शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के शिकार हो गये हैं।
आजकल उत्तराखंड में लाॅकडाउन और आर्थिक मंदी एवं बेरोजगारी के बीच निजी शिक्षण संस्थानों द्वारा फीस वसूली और राज्य के शिक्षा मंत्री का इस विषय में बदलते बयान काफी कुछ बयां कर देता हैं। सरकारों के संरक्षण पर चल रहे ये शिक्षा संस्थान शैक्षणिक गतिविधियों के बंद होने के बाद भी अपने शुल्क को छात्रों के अभिभावकों से वसूलने का निरंतर दवाब बना रहे हैं।
माननीय मुख्यमंत्री व राज्य सरकार से आग्रह हैं कि उन अभिभावकों से जिनका रोजगार इस महामारी से प्रभावित हुआ हैं सभी शिक्षण संस्थानों ( सरकारी, अर्द्धसरकारी एवं निजी) में प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, व्यावासायिक शिक्षा तथा स्वास्थ्य शिक्षा में तब तक पूर्ण फीस माफ की जानी चाहिए जब तक वे अभिभावक पुनः रोजगार प्राप्त कर आर्थिक रूप से फीस वहन करने में सक्षम हो सकें।।
पिछले सालों का आय व्यय जांच कर आर्थिक रूप से कमजोर निजी शिक्षण संस्थानों की आर्थिक क्षतिपूर्ति का वहन राज्य सरकार को भुगतान करके करना चाहिए। जिससे उनके कर्मचारियों को नियमित समय पर वेतन मिल सकें।।