सिंगोरी न्यूजः अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य राजपाल बिष्ट ने पहाड़ के ग्रामीण परिवेश की जिस समस्या को जिला प्रशासन के समक्ष रखा है उसके लिए शहरी चस्मा नहीं बल्कि जमीन व हकीकत से वास्ता रखने वाली सोच चाहिए। उन्होंने गांवों में रहने वाले बुजुर्ग, दिव्यांग व महिलाओं की समस्या को प्रशासन के समक्ष रखा जिन्हें मीलों दूर पेंशन या अन्य जरूरी काम से जाना है, लेकिन वह इस तरह से लाचार हैं कि वह अकेले नहीं जा सकते। उनके लिए भी कुछ व्यवस्था की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा है कि उत्तराखंड में सुबह 7 बजे से लेकर दोपहर 1 बजे तक लाॅकडाउन के दौरान अति आवश्यक सेवाओं हेतु कुछ प्रतिबंधों के साथ ढील दी गई है। उदाहरण के तौर पर जनपद पौड़ी में इस दौरान चार पहिया वाहनों का प्रयोग वर्जित है, दुपहिया वाहन पर केवल एक व्यक्ति सवार हो सकता है। ऐसी स्थिति में जनपद मुख्यालय से 10 से 40 किलोमीटर दूर ग्रामीण क्षेत्र के वृद्धजनों, दिव्यांगों व महिलाओं को पेंशन के लिए बैंक अथवा किसी अन्य महत्वपूर्ण कार्य हेतु जनपद मुख्यालय जाना होगा तो उनके पास कोई विकल्प नहीं है। लगभग ऐसी ही समस्याएँ पूरे जनपद और प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में हैं, जहाँ अति आवश्यक सेवाओं के लिए क्षेत्र के गांवों से मुख्य बाजारों तक मीलों आवागमन के लिए एक व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति पर निर्भर है। लाॅकडाउन के प्रथम चरण समाप्त होने के साथ 19 दिन का द्वितीय चरण बढ़ाने के बाद ऐसे लोगों की चिंता और बढ़ गई है।
अभी तक इस महामारी से निपटने के लिए जिला प्रशासन पौड़ी ने बेहतर सूझ-बूझ का परिचय दिया है। जिला प्रशासन से आग्रह है कि उपरोक्त मामले का संज्ञान लेते हुए ऐसे लोगों की परेशानियों का अतिशीघ्र उचित समाधान निकालने का प्रयास करें