राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली सँयुक्त मोर्चा के आह्वाहन पर राज्य में पुरानी पेंशन को बन्द किये जाने व छच्ै योजना को लागू किये के विरोध में हजारों राजकीय कर्मचारियों में काला दिवस मनाया। कर्मचारियों ने अपने कार्यलयों में काली पट्टी व काला मास्क लगाकर विरोध जताया, सभी कर्मचारियों ने अपने सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीर काली रखी , एक साथ 80 हजार कर्मचारियों ने रात 8 से 9 बजे अपने घरों की लाइट बन्द रखी। कर्मचारियो का कहना है 1 अक्टूबर को तत्कालीन राज्य सरकार ने nps योजना को लागू कर कर्मचारियों के भविष्य को अंधकार में धकेल दिया।
प्रदेश अध्यक्ष अनिल बडोनी ने कहा कि वर्तमान समय मे कर्मचारी संयुक्त मोर्चा राज्य में पुरानी पेंशन की लड़ाई मजबूती से लड़ रहा है। राज्य के इतिहास में पहली बार सम्पूर्ण केबिनेट कर्मचारियों की पुरानी पेंशन की पक्षधर हो गयी है। संयुक्त मोर्चा ने व्यक्तिगत रूप से छच्ै की खामियों से अवगत कराते हुए उन कोरोना शहीदो का वास्ता दिया जो इस छच्ै योजना के तहत आच्छादित थे और जिन्हें नाम मात्र की धनराशि इस पेंशन योजना के तहत प्राप्त हुई।
प्रदेश महासचिव सीताराम पोखरियाल ने कहा कि प्रत्येक मांग आग्रह से शुरू होती है और आंदोलन पर खत्म। लेकिन यह मांग तब तक खत्म नही होगी जब तक यह लागू नही हो जाती। राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली सँयुक्त मोर्चा राष्ट्रीय अध्यक्ष बी पी सिंह रावत जी के नेतृत्व में लगातार कई राज्यों में इस लड़ाई को लड़ रहा है जहां सफलता प्राप्त होने के आसार हैं। वर्तमान में राज्य और केंद्र दोनो में एक ही सरकार है जिसने अतीत में ऐतिहासिक निर्णय लिए हैं। यह भी कर्मचारियों के जीवन से जुड़ा एक ऐतिहासिक निर्णय सिद्ध होगा।
प्रदेश स्तर से देवेंद्र बिष्ट, प्रवीण भट्ट, योगिता पंत , लक्ष्मण रावत जैसे जुझारू पदाधिकारियों ने इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना अपना निर्णायक योगदान दिया।
कुमाउं से कपिल पांडे, राजीव कुमार, रेनु डांगला, सुबोध कांडपाल, राजेन्द्र शर्मा,भास्करानंद, दया जोशी और त्रिभुवन बिष्ट, इंदुवर जोशी, प्रकाश चैबे ने विशिष्ट भूमिका निभाई। गढ़वाल से जयदीप रावत , जसपाल रावत ,नरेश भट्ट, भवान सिंह नेगी, मेहरबान भंडारी, सौरभ नौटियाल, दिलवर रावत, प्रदीप जुयाल, निर्मला थापा, कविता कोटनाला, राजपाल बिष्ट, इत्यादि ने कार्यक्रमो का संचालन किया।