आम जन के जीवन से खेल रहे सूबे के भद्रजन (सांसद, मंत्री, विधायक, नेता)

उच्च शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत वृक्षारोपण कार्यक्रम में, यहां ना मास्क है ना सोशल डिसटेंसिंग साथ में कई नेता भी हैं और मानकों को फाॅलो कराने वाला प्रशासन भी।

सिंगोरी न्यूजः पिछले दिनों कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के नेतृत्व में महंगाई के खिलाफ प्रदर्शन हुआ। जिसमें लोग एकत्र हुए। तो प्रशासन ने सोशल डिसटेंसिंग के मानकों को तोड़ने के आरोप में प्रदेश अध्यक्ष समेत करीब एक सौ लोगों पर मुकदमे ठोक दिए। यह काम बहुत तेजी से हुआ और कई मायनों में अच्छा भी। इसका नतीजा यह हुआ कि मानकों से खिलवाड़ करने में कांग्रेस कुछ ठिठक जरूर गई। तब तंत्र और व्यवस्थाओं के जीवित होने का अहसास भी हुआ। लगा कि कम से कम इस महामारी के मानकों का तो मखौल नहीं बनने दिया जायेगा। लेकिन यह सब मुगालता ही साबित हुआ। यहीं सत्ता में बैठी भाजपा के नेताओं के लावलश्कर तो उसी मस्ती से चल रहे हैं जैसे कोरोना काल से पहले चला करते थे। सवाल उठता है कि उन पर क्यों कार्रवाई नहीं हो रही है। या जिस कांग्रेस पर पूर्व में कार्रवाई हुई वह भी फिर उसी राह चल निकली है। जिनको आदर्श मानकर आम जनता ने सोशल डिसटेंस बनाना था या अन्य दूसरे मानक फाॅलो करने थे वो लोग खुद ही जनता के बीच जाकर मानकों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। सत्ता के आगे प्रशासन किस कदर पंगु और मूक और नतमस्तक होता है प्रदेश के हालात इसके बानगी भर हैं।
कभी सीएम संक्रमित होते हैं तो कभी पर्यटन मंत्री और उनके परिजन। लेकिन लाॅकाडाउन की स्थितियों को छोड़ जन संपर्क का सिलसिला तो चल ही रहा है। शिलान्यास, भूमिपूजन और लोकापर्ण का दौर भी चल निकला है। कयास लगाए जा रहे हैं कि 2022 नजदीक आ रहा है। जब सांसद मंत्री विधायकों के कार्यक्रम रखे जा रहे हैं तो लोग भी जुटने स्वाभाविक हैं।

यहां गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत ने स्वयं मास्क नहीं लगाया है, सामाजिक दूरी तो है ही नहीं।

पार्टी के पर्यवेक्षकों के दौरे भी अनवरत हैं तो सांसद मंत्री विधायक नेताओं ने भी अपनी सक्रियता बढ़ा दी है के मानो कोरोना कहीं होगा ही नहीं। क्या भाजपा, क्या कांग्रेस और क्या अन्य, यहां कहा जाता है हमाम में सब नंगे हैं। लेकिन सवाल उठता है कि आखिर सांसद, मंत्री विधायक आदि जो भी अभी तक संक्रमित हुए हैं उनकी जिस तरह से व्यवस्थाएं और उपचार हुए, वह इंतजाम कोरोना से जीतने के लिए शायद काफी होंगे। लेकिन यदि कोई गांव शहर का आम व्यक्ति संक्रमित होता है तो उसके फिर से वापस लौटाने की संभावना कितने प्रतिशत होंगी इसे तो चिकित्सा विज्ञान के जानकार भी नहीं बता पायेंगे। जाहिर सी बात है कि मानकों को तार तार चाहे सांसद, मंत्री, विधायक या कोई नेता करे या फिर कार्यकर्ता कहे जाने वाले आम जन, इसमें आमजन की जान ही ज्यादा जोखिम में है।
गत दिवस सूबे में भाजपा प्रदेश प्रवक्ता प्रकाश रावत और जिलाध्यक्ष प्रदीप बिष्ट के कोरोना पॉजिटिव पाए गए। संक्रमित होने से पहले दोनों नेताओं के पार्टी कार्यक्रम और दौरों में रहे। ऐसे मंे इन लोगों से कौन कौन संकर्प में आया। कहां गया, किससे मिला सब देखने वाली बात होगी।
प्रशासन की टीम ने दोनों नेताओं की कांटैक्ट ट्रेसिंग शुरू कर दी है। ट्रैवल हिस्ट्री भी खंगाली जा रही है। बताया जा रहा है कि ये नेता इन दिनों कए वर्चुअल रैली की तैयारियों में जुटे थे। इन तैयारियों मेें कोविड 19 को कितना फैलाव मिला यह तो समय ही बतायेगा। बहरहाल ्रपदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने कुमाउं संभाग के कार्यालय को एहतियातन दस दिन के लिए बंद कर दिया है। मुकदमें की कार्रवाई के बाद सेे कांग्रेस को तो मानो अब मानक तोड़ने का लाइसेंस मिल गया हो। उसके नेता भी लगे पड़े हैं अपने अपने हिसाब से।

यहां कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह संबोधित कर रहे हैं, यहां भी ना सोशल डिसटेंस हैं और ना…….


लेकिन सवाल उठता है कि सत्ताधारी लोग क्यों इस महामारी में भी मनमानी करने से बाज नहीं आ रहे। आम जन सोशल डिसंटेंस नहीं करता या मास्क नहीं पहनता वह उसकी गलती है, उस सख्ती होनी चाहिए। लेकिन संासद मंत्री विधायक या अन्य नेता भीड़ जुटा रहे हैं। जहां ना चाहते भी सोशल डिसटेंसिंग से लेकर मुहं ढकने तक से परहेज नहीं किया जा रहा है। ऐसे में कैसे वह सब कुछ संभव हो पायेगा, जो इस महामारी के समय में बेहद जरूरी है। हाल के दिनों में यह तमाशे बंद होने चाहिए, कहीं ऐसा ना हो सत्ताधारी तो महामारी से बच जाए लेकिन वह आम जन बेमौत मारा जाए जो शायद पैदा ही मारे जाने के लिए हुआ है। कभी आपदा के हाथों, कभी महामारी तो कभी अन्य साजिशों के हाथों। photo social media

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