सिंगोरी न्यूजः जब कोई बच्चा अपने पांवों पर खड़ा होकर चलते लगता है तो पटवालस्यूं के अंतर्गत आने वाले डांग, बणियागांव, दिवई, थापली, कुरकाण्डई, फल्दा, डुंगरा, गुठिण्डा, टंगरोली, तुंदेड़, नलई आदि गांवों में यह परंपरा है कि वह बच्चा सबसे पहले अपने आराध्य डांडा नागराजा के दर्शनों के लिए जाता है। इस क्षेत्र मंे यही मान्यता हैं और लोग दशकों से इसका अनुसरण करते आए हैं। यह डांडा नागराजा, अपार आस्था का केंद पौड़ी जनपद की पटवालस्यूं पट्टी के अंतर्गत आता है।
हर साल यहां हजारों की संख्या में मेला अवसर पर दर्शनों के लिए आते हैं। और वर्ष भर भी यहां दर्शनाभिलाषी आते रहते हैं। लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण को देखते हुए मंदिर समिति ने एहतिहातन आयोजन स्थगित कर दिया है। मंदिर समिति के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह कोली की अध्यक्षता में हुई बैठक में इसका निर्णय हुआ। साथ ही महामारी के खिलाफ जंग में सहयोग के लिए समिति ने 5100 की राशि पीएम केयर फंड में दी है। कोट ब्लाक के बनेलस्यूं पट्टी के अंर्तगत आने वाले डंाडा नागराजा की तर्ज ही यहां भी दो गत बैशाख को श्रद्धालू उमड़ते हैं। और इच्छित फल की कामना करते हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण यहां नाग के रूप में प्रकट हुए थे। मध्य हिमालय में नागराजा, लौकिक देवता के रूप में पुराकाल से ही परिचित हैं। इस तर्ज पर कल्जीखाल के डांग में भी आराध्य के स्मरण में ेमेले का आयोजन किया जाता है। यहां बताया जाता है कि क्षेत्र का कोई भी बच्चा जब अपने पंावों पर चलने लगता है तो वह सबसे पहले डांडा नागराजा के दर्शनों के लिए जाता है। यह मेला भी दो गते बैसाख आयाजित होता है।
पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य व वर्तमान में सांसद प्रतिनिधि संजय पटवाल ने बताया कि कोरोना संक्रमण के खतरों को देखते हुए समिति ने मेला स्थगन का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि क्षेत्रीय विधायक मुकेश कोली पिछली बार मेले में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे। तब उन्होंने मंदिर सौंदर्यीकरण के लिए दस लाख रूपए की घोषणा की थी। जिसमें चार लाख रूपए का उपयोग किया जा चुका है और चार लाख अवमुक्त किए जा चुके हैं। इसके लिए मंदिर समिति व संासद प्रतिनिधि ने पूरे क्षेत्र की ओर से अपने विधायक का आभार जताया है। इस बार मेले का उद्घाटन उन्हीं के हाथों होना था लेकिन अब अगले वर्ष ही होगा।