भाषण प्रतियोगिता में वैष्णवी, अंशिका और मैथिली रही अव्वल

भारत रत्न, संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 130वीं जयंती को जनपद गढ़वाल में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। डॉ. भीमराव अम्बेडकर प्रतिमा स्थल परिसर पौड़ी में जिलाधिकारी गढ़वाल डॉ0 विजय कुमार जोगदण्डे ने आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करते हुए, दीप प्रज्ज्वलित कर तथा बाबा साहेब को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान क्रमशः वैष्णवी, अंशिका और मैथिली ने प्राप्त किया।

आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी डा0 जोगदण्डे कहा कि 14 अप्रैल 1891 में जन्मे बाबा साहेब की इस साल 130वीं जयंती मनाई जा रही है। उन्होंने देश से जाति प्रथा और समाज में कुव्यवस्था को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई थी, उनका मानना था कि सभी जाति के लोगों को एक जैसा अधिकार मिलना चाहिए ताकि आगे चलकर किसी भी प्रकार भेदभाव ना हो। उन्होंने अपने जीवन काल में कई महत्वपूर्ण आंदोलनों में भी हिस्सा लिया। एक दलित परिवार से आने वाले बी.आर. अंबेडकर ने अपने जीवन में बहुत यातनाएं झेलीं लेकिन कभी किसी कमजोर का साथ नहीं छोड़ा, जिसके लिए उन्हें आज भी उतने ही आदर और सम्मान के साथ याद किया जाता है। कहा कि आज के दिन देश के साथ साथ विदेशों में भी उनकी जयंती को उत्सव के रूप में मनाया जाता है बाबा साहेब ने सक्रिय रूप से दलितों के साथ-साथ हमारे समाज के अधिकारहीन वर्ग के लिए भी कार्य किया और उनके अधिकारों के लिए लड़े। वे एक राजनीतिक नेता, कानूनविद, शिक्षक, अर्थशास्त्री थे। डा0 अम्बेडकर वैश्विक युवाओं के लिए प्रेरणा बन गये क्योकि उनके नाम के साथ बीए, एमए, एमएससी, पीएचडी, बैरिस्टर, डी.एससी, डी.लिट की मानद आदि कुल 26 उपाधियां जुडी थी। सामाजिक कार्य में उनकी सक्रिय भागीदारी के कारण लोगों ने उन्हें ‘बाबा साहेब’ के नाम से संबोधित करना शुरू कर दिया।

कहा कि उन्होंने भारत के संविधान को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई इसीलिए उन्हें भारतीय संविधान का रचयिता भी कहा जाता हैं। उस समय भारतीय संविधान में सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा आरक्षण प्रणाली थी, जिसका मुख्य उद्देश्य समाज के कमजोर वर्ग और उनकी जीवनशैली में सुधार के साथ-साथ उन्हें आगे उत्थान की ओर ले जाना था। कहा कि भारत में उनके सर्वोच्च उपलब्धियों के लिए वर्ष 1990 में उन्हें सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया। जिलाधिकारी ने कहा कि उनकी विचारधारा महत्वपूर्ण है उन्होंने अस्पृश्यता को मिटाने के लिए जो कार्य किए उन्हें भुलाया नहीं जा सकता है। साथ ही उन्होंने सती प्रथा को समाप्त करने के लिए भी प्रमुखता से आवाज उठाई थी कहा कि उन्होंने केवल सामाजिक विकास ही नहीं बल्कि आर्थिक विकास का मुद्दा भी बढ़-चढ़कर उठाया था। जिसकी वजह से आज विभिन्न देशों में उनके आर्थिक विकास के अवधारणा पर शोध किये जा रहे हैं। कहा कि वर्तमान समाज समाज में एकरूपता लाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण उच्च शिक्षा है प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा में अच्छा कार्य किया जा रहा है किंतु उच्च शिक्षा में और सुधार की आवश्यकता है। वहीं कार्यक्रम में पहुंचे अन्य गणमान्य द्वारा संविधान निर्माता एवं समाज सुधारक बाबा साहेब डा0 भीमराव अम्बेडकर के अविस्मरणीय कार्य पर प्रकाश डाला गया।
इस अवसर पर सी ओ सदर प्रेम लाल टम्टा, ईओ नगर पालिका प्रदीप बिष्ट, मंच संचालन जे पी टम्टा व शैलजा सिंह ने तथा शैलेंद्र, हीरालाल टम्टा, गौरव कुमार, सुशील चंद्र, हुकुम सिंह, वीर प्रताप, संजय सिंह, सुनील कुमार, सुधीर चंद्र, यमुना राम, ललित मोहन, भूपेंद्र सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

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