आगामी सत्र से सभी विश्वविद्यालयों में लागू होगी नई शिक्षा नीतिः डॉ. धन सिंह रावत

 

*राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए समिति का गठन *

नई नीति के अनुसार हो पाठ्यक्रमों का सृजन, रोजगार को मिले बढ़ावा

दून विवि में नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन को लेकर दो दिवसीय कार्यशाला शुरू

देहरादून,

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को प्रदेश में योजनाबद्ध तरीके से काम करने के लिए समिति का गठन किया गया है। आगामी शैक्षिक सत्र 2022-23 में प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में नई शिक्षा नीति को लागू किया जायेगा। विभिन्न कोर्सों के पाठ्यक्रम तैयार किये जायेंगे जो शिक्षा नीति की मूल आत्मा के अनुरूप एवं व्यवहारिक होने के साथ-साथ रोजगारपरक भी होंगे। क्रेडिट ट्रांसफर, क्रेडिट बैंक, डिजिटल मार्कशीट एवं सर्टिफिकेट आदि पर पहले से ही काम चल रहा है।

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने आज दून विश्वविद्यालय के सभागार में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन और पाठ्यक्रम निर्धारण’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन किया। इस अवसर पर डॉ. रावत ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का ड्राफ्ट आये हुए एक वर्ष हो चुका है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसकी वर्षगांठ पर आह्वान किया कि इसे शीघ्र लागू किये जाने की आवश्यकता है क्योंकि इस नीति के दूरगामी प्रभाव है। डॉ. रावत ने कहा कि राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति क्रियान्वयन के लिए समिति का गठन कर दिया गया है तथा विश्वविद्यालयों के सहयोग से इसकी रूपरेखा को तैयार कर दिया जायेगा। उन्होंने राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, निदेशक (आईक्यूएसी), सभी विभागाध्यक्षों एवं अध्यापकों से अह्वान किया कि नई शिक्षा नीति पर योजनाबद्ध तरीके से युद्ध स्तर पर काम किया जाय। इसके लिए उन्होंने पांचों विश्वविद्यालयों को आपस में तालमेल बनाकर काम शुरू करने को कहा। डॉ. रावत ने कहा कि शैक्षिक सत्र 2022-23 में प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में नई शिक्षा नीति को लागू किया जायेगा। इसके लिए पाठ्यक्रम तैयार किये जायेंगे जो कि नई शिक्षा नीति की मूल आत्मा के अनुरूप एवं व्यवहारिक होने के साथ-साथ रोजगारपरक भी होंगे। उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की मूल भावना भारतीय संस्कृति एवं भारतीयता से आच्छादित वैज्ञानिक और व्यवहारिक ज्ञान परंपरा से ओतप्रोत शोध प्रविधि (रिसर्च मेथाडोलॉजी) को विकसित करना है। उन्होंने कहा कि राज्य में नई नीति के अंतर्गत क्रेडिट ट्रांसफर, क्रेडिट बैंक, डिजिटल मार्कशीट एवं सर्टिफिकेट आदि पर पहले से ही काम चल रहा है। ऐसे में विश्वविद्यालयों को अपने इंफ्रास्ट्रक्चर एवं अन्य सभी संसाधनों का इस्तेमाल कर राष्ट्रीय शिक्षा नीति को जल्द लागू करने की आवश्यकता है ताकि छात्र-छात्राओं को इसका फायदा शीघ्र मिल सके। कार्यशाला एनईपी पाठ्यक्रम निर्माझा कमेटी एवं कुमांऊ विवि के कुलपति प्रो. एन.के. जोशी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति2020 के रूपरेखा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एनईपी क्रियान्वयन नीति में कौशल विकास, विषयों के चुनने में सहजता, ऑन लाइन कोर्सेज तथा स्वयं मोक को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। प्रो. हरे कृष्ण ने एनईपी के क्रियान्वयन व पाठ्यक्रम डिजाइन एवं शोध पद्धति पर तथा डॉ. दिनेश शर्मा ने रोजगारपरक उच्च शिक्षा तथा शिक्षा के डिजीटलाईजेशन पर अपने सुझाव रखे।

इस अवसर पर कुलपति प्रो. ओ.पी.एस. नेगी, प्रो. पी.पी. ध्यानी, प्रो. एन.के. जोशी, प्रो. सुरेखा डंगवाल, प्रो. एन.एस. भण्डारी, सलाकार रूसा प्रो. के.डी. पुरोहित, प्रो. एम.एस.एम.रावत, कुलसचिव डॉ. एम.एस. मद्रवाल, प्रो. कुसुम अरूणांचलम, प्रो. एच.सी. पुरोहित, प्रो. आर.पी. मंमगाईं, प्रो. आशीष कुमार, प्रो. हर्ष डोभाल, डॉ. दिनेश शर्मा, डॉ. हरे कृष्ण, प्रो. दिनेश चन्द्र गोस्वामी, प्रो. शेखर जोशी सहित अन्य शिक्षाविद् उपस्थित रहे।

About The Singori Times

View all posts by The Singori Times →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *