सिंगोरी टाइम्स, गढ़वाली साहित्य की दिशा में जो प्रयास हुए हैं निसंदेह ही वह काबिले तारीफ भी हैं और काबिले गौर भी। हमारा प्रयास है कि गढ़वाली साहित्य के विकास में जो प्रयास हुए हैं उन्हें अपने पाठकों तक पहुंचाया जाए। उम्मीद है इसमें सब लोग सहयोग करेंगे। यह अपनी लोकभाषा की सेवा भी होगी और जानकारी भी। उन प्रयासों के लिए कोटिशः नमन।
पुस्तकः अंख-पंख, गढ़वाली साहित्य की इस पुस्तक के लेखक अबोध बंधु बहुगुणा हैं। इस पुस्तक में बाल कविताएं हैं। यह 1980 में प्रकाशित हुई।