सिंगोरी न्यूजः आठ जून के लिए सिर्फ एक दिवस ही बीच में रह गया है। यानी वह तिथि जिस दिन से केंद्र धार्मिक गतिविधियों को सुचारू करने को कहा है। केंद्र की गाइडलाइन का अनुपालन करते हुए प्रदेश के मुखिया त्रिवेंद्र रावत ने भी चारधाम यात्रा शुरू करने का मन तो बना लिया। लेकिन इसमें तीर्थ पुरोहितों की आपत्ति आड़े आ गई है। पहले सीएम तैयारियों की बात कर रहे थे, अब उन्होंने सुर बदल लिए हैं और कहा कि पुरोहितों से बातचीत कर इस पर फैसला लिया जायेगा। लेकिन एक सवाल उठ रहा है कि लाॅकडाउन के दौरान क्वांनटीन सेंटरों के प्रबंधन में सीएम त्रिवेंद्र का तंत्र पूरी तरह से फेल रहा। तो ऐसे में यही तत्रं चारधाम को कैसे मैनेज कर पाएगा। क्योंकि चुनौतियां कतई हैं और सिस्टम वही पुराना।
केंद्र की ओर से जो दिशा निर्देश जारी हुए हैं उसमें आठ जून के बाद प्रदेश में धार्मिक गतिविधियां शुरू हो सकेंगी। प्रदेश सरकार ने अपने स्तर पर चार धाम यात्रा शुरू करने को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं। हालांकि इस बार की तैयारियों में सब कुछ वहीं है जो पिछली यात्राओं मंे किया जाता है। तब भी सरकार का दावा है कि चारधाम यात्रा को किस तरह से सुरक्षित किया जा सकता है। इस दिशा में कार्य किए जाने के दावे हो रहे हैं।
लेकिन सवाल यह है कि चार धाम यात्रा के दौरान इसबार जो नई चुनौतियां सामने होंगी वह होगी कोरोना संकमण। यदि यात्रा में थोड़ा बहुत भी यात्रियों की भीड़ हुई तो उन्हें कैसे मैनेज किया जाएगा। क्योंकि प्रबंधन के मामले में फेल हो चुकी सरकार चारधाम के क्राउड को कैसे मैनेज करेगी यह सवाल बड़ा है। क्वारंटीन सेंटरों की अव्यवस्था इस प्रदेश में ताजा उदाहरण हैं। जहां गांवों मंे आने वाले गिनती के लोगों को बने क्यारंटीन संेटरों में यहां का पूरा तंत्र फेल हो गया। वह चारधाम को कैसे मैनेज कर पायेगा। तीर्थ पुरोहितों की जो चिंता है वह भी यही है। हालांकि अब इस विषय में सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि यात्रा शुरू करने को लेकर पुरोहितों और व्यापारियों से बातचीत की जायेगी।