पहाड़ की लोक संस्कृति की धरोहर है ‘इगास’

उत्तराखंडी लोक संस्कृति का पर्व इगास आज समूचे उत्तराखं में बड़े धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। सूबे के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रदेशवासियों को इगास के मौके पर शुभकामनाएं देते हुए कहा कि इगास उत्तराखंडी लोक संस्कृति व परंपराओं का प्रतीक है। उन्होंने लोगों से कोरोना वायरस के संक्रमण के मद्देनजर इस अवसर पर मास्क पहनने के साथ ही दो गज की दूरी का पालन करने की अपील की है।
पहाड़ में बग्वाल यानि दीपावली के 11 दिन बाद इगास मनाने की परंपरा रही है। मान्यता के अनुसार गढ़वाल में भगवान राम के अयोध्या लौटने की सूचना 11 दिन बाद मिली थी। इसलिए यहां पर 11 दिन बाद यह त्योहार मनाया जाता है। इस पर्व की खास बात यह है कि इस दिन आतिषबाजी करने के बजाए लोग रात के समय पारंपरिक भैलो खेलते हैं। वहीं, जानकारों का यह भी कहना है कि ऐतिहासिक मान्यताओं में इगास का पर्व तिब्बत विजय का उत्सव है। तिब्बत का युद्ध जीतकर गढ़वाली सेना दीपावली के ठीक 11 दिन बाद घर पहुंची थी। इसी युद्ध को जीतने की खुशी में उस समय दीपावली मनाई गई थी।
बहरहाल, उत्तराखंड की संस्कृति में रचे-बसे इगास को सहेजने के लिए राज्य सरकार भी निरंतर प्रयासरत है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इगास के मौके पर प्रदेशवासियों को अपनी बधाई दी है। उन्होंने लोगों से त्योहार मनाते समय कोरोना संक्रमण के मद्देनजर भी सतर्कता बरतने की अपील की है। सीनियर जनर्लिस्ट अमित ठाकुर जी की कलम से।

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