सिंगोरी न्यूजः आइएमए के ग्राउंड में भावी सैन्य अफसरों के कदम जैसे जैसे आगे बढ़ रहे थे, उनकी बूटों की घमक से वह धरती भी गौरान्वित हो रही जिस पर उन्होंने सालों कडा संघर्ष किया। सूबे की राजधानी तो मानो आइएमए होने भर से ही अपने भाग्य पर इठलाती रही।
जी हां, यहां देश के 333 भावी सैन्य अफसर आज सेवा के लिए समर्पित हुए हैं। यहां 90 विदेशी कैडेट्स ने भी अपने देश की सेना में शामिल होने का भी गौरव हासिल किया। इन युवा सैन्य अधिकारियों में नौ मित्र देशों अफगानिस्तान, तजाकिस्तान, भूटान, मॉरीशस, मालद्वीव, फिजी, पपुआ न्यू गिनी, श्रीलंका व वियतनाम की सेना के अंग होंगे। कड़े संघर्ष के बाद आज इन सैन्य अधिकारियों ने आखिरी कदम पार कर खुद को अव्वल साबित कर दिया। और भारतीय सेना का हिस्सा होने के काबिल हो गए। सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने बतौर रिव्यूइंग ऑफिसर भाग लिया।
सुबह छह बजकर 42 मिनट पर कैडेट परेड स्थल पहुंचे और परेड शुरू हुई। सात बजकर पांच मिनट हुए तो कमांडेंट ले. ज. जयवीर सिंह नेगी ने परेड की सलामी ली। सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने परेड का निरीक्षण किया। और इसी के साथ ये जांबाज अंतिम पग भर कर सेना में शामिल हो गए। पीपिंग व ओथ सेरेमनी का जोश और उत्साह देखते ही बना। लेकिन यह बात थोड़ा दिल को लगी कि इस बार जांबाजों के परिजनों को यह सौभाग्य का अवसर नहीं मिला। कहा जाता है कि जब आईएमए की पासिंग आउट परेड (पीओपी) के दौरान ड्रिल स्क्वायर पर सीना चैड़ा करके कोई जांबाज कदमताल करते हुए आगे बढ़ता है तेा सामने बैठे उसके माता पिता और परिजनों के आनंद की अनुभूति की तुलना स्वर्ग से की जाती रही है। बेटे के कंधों पर सितारे सजाने का सौभाग्य भी किसी सपने से कम नहीं है। लेकिन इस बार यह इच्छा मन ही में रह गई। बताया गया कि इस बार कोरोना की वजह से किसी भी कैडेट्स के परेंट्स को नहीं बुलाया गया।