सिंगोरी न्यूजः विकास खंड कल्जीखाल को एक जमाने में जनपद का सबसे पिछड़ा हुआ विकास खंड माना जाता था। देश में भी पिछड़े विकास खण्डों की गिनती की जाती, तो यह क्षेत्र तब शायद पहले स्थान पर ही रहता। लेकिन आज इस क्षेत्र ने जो मुकाम हासिल किया है वह पूरे क्षेत्र ही नहीं प्रदेश और देश को गौरान्वित करने वाला है। दो बार पौड़ी जनपद का यह विकासखंड पूरे देश में पंचायती राज सशक्तिकरण राष्टीय पुरस्कार हासिल करने में सफल रहा। इस विकास खंड को शून्य से शिखर तक पहुंचाने का श्रेय जाता है यहां के ब्लाक प्रमुख रहे महेद्र सिंह राणा को। जो ब्लाक प्रमुख के साथ प्रदेश ब्लाक प्रमुख संगठन के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं।
शुरूआत गांव के रास्तों से करते हैं। यूं तो प्रत्येक गांव में ब्लाक स्तर से आवाजाही के लिए रास्तों का निर्माण, खंडंजा सीसी आदि होता है। या यूं कहें कि यही काम होता है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। लेकिन कल्जीखाल ब्लाक में जो काम हुआ है वह तारीफ के काबिल है। निसंदेह ही उस पर बाहर वालों को तो रश्क होगा ही उनके विरोधी भी अब सामने हाथ बांधे खड़े रहने को मजबूर हैं, जो एक समझदार प्रतिपक्ष का व्यवहार होना भी चाहिए। समय के साथ गांव के रास्ते संवरे, तो सोलर की रोशनी से गावं के अंधेरे खलियान भी जगमगा गए।
पानी की टोटियों पर पानी नहीं चले तो संबंधित विभाग को टाइट किया। वह समझाने बुझाने से लेकर तंत्र किस तरह से काम करेगा यहां के ब्लाक प्रमुख यह अच्छी तरह से जानते हैं। स्वाभाविक है कि समाज कल्याण, तहसील, कृषि, उद्यान पशुपालन, बिजली पानी सड़क और यहां तक वन जैसे अन्य विभाग से जनहित के कामों को कैसे साधना है इसके लिए नेता का चतुर होना भी जरूरी है। तो इसे उनकी खूबी ही कहेंगे। हालांकि क्षेत्र में शिक्षा की दिशा में इस स्वर्णिम कार्यकाल में कुछ अच्छा हो पाया यह कहा नहीं जा सकता। यहां कक्षा कक्षा, चहरदीवारी, फर्नीचर तो स्कूलों को भले ही मिला होगा लेकिन नई पीढ़ी के बेहतर भविष्य के लिए शिक्षकों में भी अपनी जिम्मेदारियों के प्रति गंभीरता का होना जरूरी है। जो अधिकांश जगहों पर कम ही दिखती है।
कभी टीन शेड पर चलने वाला कल्जीखाल ब्लाक की आज अपनी एक भव्य बिल्डिंग है। इसकी भव्यता को देखकर कहीं से यकीन नहीं होता है कि यह हमारे उन पहाड़ों के विकास खंड की बिल्डिंग होगी जिनके नसीब में पहले से ही उपेक्षा ही लिखी हुई है। लोग कुछ भी कहें लेकिन ब्लाक की भव्य इमारत यहां की शान है और पहचान भी। बेहतर प्रेक्षागृह इस भवन की खासियत है। यहां खेल गतिविधियों को संचालित करने के लिए पहले कोई ठीक सा खेल मैदान तक नहीं था।
इस समयावधि में ब्लाक के नजदीक ही एक शानदार मैदान युवाओं को मिल गया है। तय है कि यहां अभ्यास कर प्रतिभाएं निखरेंगी। युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए यहां आजीविका मिशन के तहत खासे प्रयास किए गए। कई युवा यहां प्रशिक्षण करने के बाद उद्यानी, पशुपालन, समेत अन्य स्वरोजगार के क्षेत्र में अच्छा कर रहे हैं, इससे नई संभावनाएं खुली हैं। कल्जीखाल बाजार में पार्किग की समस्या से निजात दिलाने के लिए जो पार्किग बनी है उस पर पैसा तो जो भी लगा होगा लेकिन उस जगह का इस तरह से उपयोग हो पाएगा शायद किसी ने कभी सोचा तक नहीं होगा।
मेट्रोप्लेटिन शहर को मात देता बिलखेत का फब्बारा
बिलखेत में लगा फब्बारा, अच्छे खासे शहरों को अपनी जगमगाहट से आइना दिखाते हुए कह रहा है कि हम गांव हैं तो क्या हुआ हमारे नेताओं में काबिलियत और ईच्छा शक्ति हो तो हम भी किसी से कम नहीं है।ं शहरों की तरह साफ सुथरे रास्ते, प्रथ प्रकाश, रंग बिरंगी छटा बिखेरती रैलिंग। इसके अलावा यहां की सड़कों पर बने यात्री स्टैंड मेट्रोप्लेटिन शहरों को मात दे रहे हैं। विरोध स्वरूप इसे शुरू में कुछ लोगों की ओर से फिजूलखर्ची तक कहा गया लेकिन पहाड़ों में बनने वाले यात्री शेडों में भी लोग पनाह लेते हैं। तो यहां भी अच्छे शहरों की तरह क्वालिटी क्यों ना हो। अन्य क्षेत्रों में बने यात्री शेडों से इनकी तुलना कर सोच की अहमियत को समझा जा सकता है। अन्य जगहों के यात्री शेडों पर कहीं पर ठीक से बैठा तो क्या खड़ा तक नहीं हुआ जा सकता है। गंदे शब्दों की लिखावट की काली रेखाएं इनमें और सिरदर्द का कारण बनती है। लेकिन कल्जीखाल में उच्च कोटि के शेड बने हैं इनमें रूकने वाले भी इसकी अहमितय भली प्रकार से समझते हैं। यहां का आम ग्रामीण भी सार्वजनिक स्थलों की स्वच्छता का पूरा ख्याल रखते हैं। व्यू प्वांट्स पर बैठने के लिए शानदार बैंच लगे हैं। स्थानीय लोगों से लेकर बाहर से घूमने आए लोग इसका उपयोग करते हैं।
सांस्कृतिक आयोजनों के स्तर ने भी यहां की प्रतिभाओं को बेहतर अवसर दिए। महेंद्र राणा के कार्यकाल में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों में स्थानीयता पर खास ध्यान देखा गया। रंग बिरंगे परिधानों में सजे महिला मंगलदल युवक मंगलदलों की सहभागिता इस बात को दर्शाती है। मधुर व्यवहार, मिलनसार प्रवृति और एक दूसरे के सुख दुख में साथ खड़े होने के जज्बे ने उन्हें उनके क्षेत्र से बाहर भी लोकप्रिय बना दिया। यही कारण रहा कि प्रदेश के 95 ब्लाक प्रमुखों ने भी उन्हें अपना नेता चुना। लगातार दो बार राष्टीय पुरस्कार हासिल करने की काबिलियत से लगता है कि अखिल भारतीय प्रमुख संगठन का भी यदि गठन होता तो शायद उसके मुखिया महेंद्र राणा ही होते। बहरहाल यह किसी व्यक्ति विशेष की तारीफ में नहीं लिखा गया यह पूरे कल्जीखाल क्षेत्र की वह तस्वीर है जिसे कोई अनदेखा तो कर सकता है लेकिन झुठला नहीं सकता। आने वाले दिनों में फिर पंचायत चुनाव होने वाले हैं। आम जनता किसको कहां की जिम्मेदारी देगी यह तो भविष्य के गर्भ में छिपा है लेकिन हाल के समय में कल्जीखाल ने एक बडे़ फलक पर खुद को साबित किया है उसे कभी ना तो छिपाया जा सकेगा और ना ही भुलाया।