सिंगोरी न्यूजः केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के प्रयास यदि ठीक से धरातल पर उतर जाते हैं और उत्तराखंड के हर विकास खंड में केंद्रीय विद्यालय संचालित होने लगेंगे तो निश्चित रूप से यह पहाड़ के उजड़ते गांव़ों को फिर से संजोने की दिशा में कारगर पहल होगी। ध्वस्त हो चुकी शिक्षा व्यवस्था जब पटरी पर आएगी तो पहाड़ों की रंगत काफी हद लौट जायेगी और यहां पाल्यों को गुणवत्तापरक शिक्षा भी हासिल हो सकेगी।
सूबे के पहाड़ी गांव उजड़ने के जो प्रमुख कारण हैं उसमें रोजगार के बाद दूसरे नंबर पर यहां की शिक्षा व्यवस्था आती है। सरकारी शिक्षा पर से तो लोगों का भरोसा पूरी तरह से हट गया है। यही कारण है कि गांवों में जो सरकारी स्कूल खुले हैं उनमें गिनती के ही छात्र छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। अधिकांश लोग अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता करते हुए उन्हें बेहतर शिक्षा देने की मंशा से पलायन कर जाते हैं।
हाल ही में के्रदीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने एक बयान जारी किया है कि उत्तराखंड के प्रत्येक विकास खंड में एक केंद्रीय विद्यालय की स्थापना की जायेगी। केंद्रीय मंत्री का यह प्रयास पहाड़ के गांवों की दिशा और दशा बदलने में कारगर होगी इस बात को बगैर किसी संदेह के हर कोई कह सकता है। सूबे में जिस भी क्षेत्र में केंद्रीय विद्यालय खुले हैं, राज्य सरकार के स्कूलों के सापेक्ष उनका प्रदर्शन कही गुना बेहतर है। निजी स्कूलों में दी जा रही शिक्षा की गुणवत्ता की तुलना में केंद्रीय विद्यालयों में दी जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता को बीस ही माना जाता है। ज्यादातर मौकों पर शहरों में अभिभावक निजी स्कूलों के बजाए केंद्रीय विद्यालयों की पढ़ाई को बेहतर समझते हैं। और उसी को प्राथमिकता देते हैं।
नई योजना में अगर दूरस्थ विकास खंडों में भी केंद्रीय विद्यालय खुलेंगे तो लोगों के सामने निजी स्कूलों के सापेक्ष कम फीस देकर एक बेहतर शिक्षा का विकल्प होगा। आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को भी केंद्रीय विद्यालयों में पढ़ाई के अवसर मिल सकेंगे। और यह भी हो सकता है कि ब्लाक स्तर पर जब ेकेंद्र के ये संस्थान माॅडल प्रस्तुत करेंगे तो सूबे की सरकारी शिक्षा के वाहक भी आत्मचिंतन कर सकेंगे। और सरकारी स्कूलों के परंपरागत ढर्रे को बदलने का प्रयास करेंगे। गांव के बच्चे को भी बेहतर पढ़ाई के अवसर मिलेंगे तो उसकी सोच में भी बदलाव आयेगा। वह भी दसवीं बारहवीं पास रोजगार की तलाश में पलायन करने के पुराने सांचे से हटकर सोच रखने लगेगा। ऐसे मंे केंद्रीय मंत्री का यह प्रयास खास तौर पर लगातार उजड़ रहे पहाड़ के गावों की समृद्धि की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।