सिंगोरी न्यूजः संकट की घड़ी में हर कोई अपने सामथ्र्य के हिसाब से सहयोग मंे लगा है। यही इसांनियत भी कहती है और मानवता का धर्म भी। सुखद यह है कि कई जगहों पर राजनैतिक, धार्मिक पृथकता के भी मायने नहीं रहे। इस लड़ाई में सहयोग के लिए कई उदाहरणों के साथ इतिहास की किताब में पन्ने जुड़ रहे हैं। लेकिन संघर्ष की मिशाल देवकी देवी ने जो मिशाल पेश की है उसे आने वाली पीढ़ी भी लंबे समय तक याद रखेगी। 60 वर्षीय देवकी देवी की भले ही अपनी संतान ना हो लेकिन उसके हृदय की विराटता ने उसे उन्हें ऐसी मां साबित कर दिया जिसकी ममता को कभी सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता।
जनपद चमाली के गौचर में रहने वाली देवकी देवी भंडारी ने कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में सहयोग के लिए अपने पास जमा दस लाख की धनराशि को प्रधानमंत्री केयर फंड में करा दिया है। हालांकि अपने जीवन में देवकी ने समाज हित में जो भी कार्य किए हैं उन्हें पैसे के तराजू में कभी तौला जा सकता। आसपास कई गरीब और असहाय बच्चों को उन्होंने गोद लिया है। वह उनकी पढ़ाई लिखाई का खर्चा उठाती हैं। और स्वयं वह एक किराये के मकान में रहती हैं। बता दें कि देवकी देवी के पति हुकुम सिंह भंडारी रेशम विभाग में सेवारत थे और कई साल पहले उनका असामयिक निधन हो गया था। वह स्वयं बताती हैं कि कोई संतान न होने से उन्होंने अपना जीवन सामाजिक कार्यों में लगा दिया। इस तरह के उदाहरण सांसद और विधायक निधि के पैसे से अपना चेहरा चमकाने वालों को देवकी देवी जैसी शख्सियतें आइना भी हैं। शायद इन उदाहरणों से कोई तो सीख और प्रेरणा लेगा।