ग्रामोत्थान परियोजना के अंतर्गत स्वावलंबी बनी मधु देवी

ग्रामोत्थान परियोजना के अंतर्गत स्वावलंबी बनी मधु देवी

ग्राहक सेवा केन्द्र स्थापित कर बनीं आत्मनिर्भर

विकास खण्ड पौड़ी की वजली गांव की मधु देवी ग्रामोत्थान परियोजना (रीप) की मदद से आज आत्मनिर्भर बन गयी हैं। परियोजना के अंतर्गत मधु देवी को ग्राहक सेवा केन्द्र (सीएससी) खोलने के लिए 75 हजार रूपये की आर्थिक सहायता दी गयी। ग्रामोत्थान परियोजना से मिली धनराशि, बैंक लोन और कुछ अपनी जमा पूंजी लगाकर उन्होंने खाण्डयूंसैंण बाजार में सीएससी खोला। वह इससे प्रतिमाह 10 हजार रूपये तक की कमाई कर रही हैं। इसके अलावा मधु बैंक सखी भी है। इन व्यापारिक गतिविधियों से मधु आर्थिक रूप से स्वावलंबी हुई हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गनिर्देशन और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखण्ड में मातृ शक्ति को आर्थिक आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं संचालित हो रही हैं। महिलाएं इनका लाभ उठाकर अपने पैरों में खड़ी हो रही हैं।

ऐसा ही उदाहरण वजली गांव की मधु देवी हैं। वर्ष 2017 में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत मधु समेत आठ महिलाओं ने नागराजा स्वयं सहायता समूह का गठन किया। गत वर्ष मधु देवी ग्रामोत्थान परियोजना से जुड़ीं। ग्रामोत्थान परियोजना द्वारा स्वयं सहायता समूह, ग्राम संगठन एवं कलस्टर में जुड़ी महिलाओं के आजीविका सर्म्वद्वन को बढ़ाने एवं आत्मनिर्भर बनाने हेतु योजनाओं की जानकारी प्रदान की गयी। मधु का चयन व्यक्तिगत उद्यम के अंतर्गत ग्राहक सेवा केन्द्र स्थापित करने के लिए हुआ। व्यक्तिगत उद्यम गतिविधि के अंतर्गत उन्हें परियोजना द्वारा 75 हजार रुपये की सहयोग राशि प्राप्त हुई। इसके अलावा उन्होंने बैंक से डेढ़ लाख रूपये का ऋण लिया। जिससे उन्होंने एक ग्राहक सेवा केंद्र की स्थापना की। केंद्र में ग्रामीणों को विभिन्न प्रमाण पत्र उपलब्ध करा कर वह शुल्क के रूप में आमदनी कर रही हैं।

मधु बताती हैं कि सीएससी के अलावा वह बैंक सखी के रूप में आसपास के ग्रामीणों को डिजिटल बैंक सेवा उपलब्ध करा रही हैं। उन्होंने जन धन योजना के तहत लगभग 700 बैंक खाते खोले हैं। वह कहती हैं कि सेवाओं के माध्यम से उन्होंने अपनी आय 20 हजार रुपये प्रतिमाह तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा है।

मुख्य विकास अधिकारी गिरीश गुणवंत का कहना है कि परियोजना से जुड़ने से पूर्व मधु सामान्य गृहणी के रूप में कृषि कार्य करती थीं। उनकी आार्थिक स्थिति कमजोर थी तथा उन्हें सरकारी योजनाओं की जानकारी का अभाव था। परियोजना से जुड़ने के बाद वह आर्थिक रूप से जागरूक हुईं। इसका सकारात्मक परिणाम आज सबके सामने है। उनका केंद्र आज स्थानीय समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण सेवा स्थल बन गया है, जिससे न केवल उनकी आजीविका में सुधार हुआ, बल्कि ग्रामीणों को भी आवश्यक बैंकिंग सुविधाएँ सुलभ हुईं।

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