कल मिले इ हमका भूल गए आज, तोरे नैना…….

आज दोपहर राजनीति के गलियारों से एक हॉट खबर यह आई कि पिछले लोक सभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी रहे पूर्व सीएम भुवन चंद्र खंडूरी के पुत्र मनीष खंडूड़ी ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। इस खबर से कांग्रेस के पाले में खलबली मचनी स्वाभाविक थी। और उसकी यह बेचैनी सामने वाले खेमे को सुकून देने वाली रही। इस एपिसोड में मनीष के रवैए से ज्यादा कांग्रेस की रणनीतिकारों की अकल को चर्चा में ला दिया है।
इस्तीफे की जानकारी स्वयं मनीष खंडूरी ने अपने सोशल मीडिया के माध्यम से दी है।
यह ऐन लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी को तगड़ा झटका माना जा सकता है।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा का कहना है की मनीष खंडूरी को हमेशा पार्टी में सम्मान दिया गया 2019 में उन्हें टिकट भी दिया गया। और यह भी कहा कि फिलहाल उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल भी इन दिनों धड़ाधड़ सोशल मीडिया पर एक तरह से अपने पूर्व प्रत्याशी के ही कसीदे पढ़ते दिख रहे हैं।

जो भी हो, कांग्रेस अपनी सयानेपंथी के चलते हर जगह से गच्चा खा रही है। दिनों डाउन हो रहे सर्वाइवल रेट के लिए कोई और नहीं स्वयं कांग्रेस ही जिम्मेदार है। पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी की सारी प्रावधानित व्यवस्था को दर किनार करते हुए मनीष को पैराशूट के जरिए सीधे उस लोकसभा में उतारा गया जहां घने जंगल और आकाश छूते शिखर मैट्रोपल्टीन के बजाए जीवटता को ही पसंद करते हैं। भले हश्र तो पहले से ही ज्ञात रहा लेकिन शीर्ष कांग्रेस के रणनीतिकारों का यह कदम तब भी राजनीति के जानकारों को अटपटा और बेहद अविवेकपूर्ण लगा था।

आज कांग्रेस उस खेत की तरह दिख रही है, जहां वैसे भी फसल उगी नहीं, और जो धतरी ने अपना शत दिया था वह भी परिंदों के हक में गया। दूसरी ओर किसी कांग्रेसी नेता से बात करो तो यहां राजनीति के तुरमखानों की फेहरिस्त बताई जाती है। लेकिन कहते हैं ना, झूठे ज्ञान से हमेशा सावधान रहना चाहिए यह अनपढ़ रहने से ज्यादा खतरनाक होता है। परिवार की राजनैतिक पृष्ठभूमि के अलावा मनीष के वायोडेटा में तब था क्या। राजनैतिक अनुभव तब लगभग शून्य था। ऐसे में क्या जरूरत थी उन्हें लोकसभा जैसे विराट दंगल में अवसर देने की। और वो भी तब जब पार्टी में वर्षों से धूल फांक रहे निष्ठावानों का अच्छा खासा आंकड़ा उनके पास था, जिन पर दांव लगाकर भी परिणाम भले ही हक में नहीं होता और हुआ भी नहीं, लेकिन आज छीछालेदारी नहीं होती।

आज वो सबके सामने है जो हुआ है। हालांकि यह भी सच है कि डूबते जहाज से हर कोई छलांग लगाने की कोशिश में रहता है। लेकिन फिर भी इस बात में कोई दो राय नहीं होनी चाहिए मनीष खंडूरी को कांग्रेस ने सम्मान तो बड़ा ही दिया ठैरा।

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