सिंगोरी न्यूजः पहाड़ की जिदगी वाकई कितनी पहाड़ सी है। इस तरह के कई वाकये सामने आते हैं लेकिन सत्ता की गलियारों तक उनके संघर्ष की आवाज कब पहुंचेगी बता नहीं सकते। यहां बात टिहरी जनपद के हिमरोल गांव की है। यहां एक गर्भवती महिला रामप्यारी को प्रसव पीड़ा हुई तो डलीवरी के लिए अस्पताल कैसे ले जाते। सड़क तो है नहीं। तो वह पैदल ही चल निकले। यहां स्वास्थ्य सुविधा के नाम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है। वह भी 40 किमी दूर। लेकिन मजबूरी में परिजनों ने हिम्मत की और चल निकले। मातृशक्ति की जीवटता का तो यहां कोई सानी नहीं। गर्भवती रामप्यारी भी पैदल ही चल पड़ी स्वयं का प्रसव कराने अस्पताल की ओर। लेकिन अस्पताल इतनी दूर था कि वहां पहुचने कई घंटे लगते हैं। रामप्यारी ने पैदल रास्ते में ही बच्चे को जन्म दिया।
परिजन जच्चा-बच्चा को किसी तरह मुख्य सड़क तक लाए। तब जाकर गाड़ी से उन्हें 40 किलोमीटर दूर स्थित सीएचसी नौगांव लेकर पहुंचाया गया। रामप्यारी के पति का नाम लक्ष्मण है। वह बताते हैं कि भगवान का नाम लेकर उसी के भरोसे धर से चले थे। शुक्र है जिंदगियां बच गई।
ग्रामीणों ने बताया कि गांव से मोटर हैड तक पहुंचने के लिए विकट रास्ता है। उसके बाद चालीस किमी सड़क मार्ग है अस्पताल जाने के लिए।
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