उजड़े गांवों को बसाने में किसी संजीवनी से कम नहीं है ‘मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना’: नरेंद्र

सिंगोरी न्यूजः सहकारी समितियों में पुराना झोल अब खत्म हो जायेगा। नई व्यवस्थाओं में सभी समितियों को कंप्यूटरीकृत किया जाना है। इसमें पारदर्शिता के लिए पहले विशेष आॅडिट कराया जायेगा। इससे समितियों में चल रहे कामकाज की भी समीक्षा हो सकेगी। समितियों को ओर अधिक दुरूस्त करने के लिए यहां जारी बयान में जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह रावत ने यह बात कही। जिस पर जल्द ही अमल शुरू हो जायेगा। अध्यक्ष ने बताया कि कोविड 19 के कारण वापस लौटे लोगों को गांव में ही स्थापित करना बैंक व सहकारिता की प्राथमिकता में हैं। सूबे में संचालित की गई मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के लिए अध्यक्ष ने प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत और सहकारिता मंत्री डा धन सिंह रावत का आभार जताया है। कहा कि यह योजना गांवों को फिर से बसाने में किसी संजीवनी से कम नहीं है। इसके लिए सीएम और सहकारिता मंत्री का साधुवाद।
अध्यक्ष ने कहा कि जो लोग बाहरी प्रदेशों से अपने घरों को लौटे हैं उनमें कुशल कारीगर भी हैं तो अकुशल भी हैं और उद्धमशील भी। कोशिश है कि सभी को उनकी योग्यता और क्षमता के अनुरूप कामकाज के लिए या व्यवसाय की स्थापना करने में हर संभव की मदद की जायेगी। सरकार की ओर से संचालित योजना के चलते उद्धमशील युवाओं से लेकर हर कोई अपने प्रयासों को सफल होगा, ऐसी उम्मीद है।
सहकारी बैंक की अपेक्षा अन्य बैंकों की ओर लोगों के झुकाव पर हुई एक्सरसाइज के बाद अध्यक्ष ने दोनों के अंतर को सहकारिता मंत्री से भी साझा किया है। उन्होंने बताया कि अन्य राष्ट्रीयकृत बैंकों में कास्तकार की एक एकड़ भूमि पर तीन लाख का ऋण दिया जा रहा है जबकि सहकारी बैक की जो गाइडलाइन है उसमें एक एकड़ भूमि पर मात्र 32 हजार के ही ऋण का प्रावधान दिया गया है। इस वजह से भी आम लोगों का झुकाव सहकारी बैंक की अपेक्षा अन्य राष्ट्रीयकृत बैंक की ओर दिख रहा है । कोेरोना संकट में बदले हालातों में बेरोजगार हो चुके युवाओं की मदद के लिए लाॅच की गई योजना के लिए उन्होंने सीएम और सहकारिता मंत्री डा धन सिंह रावत को फिर से आभार जताया है।

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