सिंगोरी न्यूजः गाजियाबाद के खोड़ा में संचालित होने वाला पहाड़ी फ्रेस संस्थान लाॅकडाउन से ही बंद है। इससे जुड़े दर्जनों की तादाद में लोगों की आजीविका पूरी तरह से प्रभावित हो गई है। संचालको को अब चिंता सताने लगी है कि हालात बहुत खराब हो चुके हैं। आर्थिक स्थिति पूरी तरह से चैपट हो गई ऐसे में अपनी इस धरोहर को कैसे संजोया जाए। स्वरोजगारियों पर आजीविका का संकट गहरा गया है।
संस्थान के सर्वेसर्वा मनवर सिंह रावत ने बताया कि पहाड़ी फे्रश नाम से चल रहे इस संस्थान में पहाड़ों का ऑर्गेनिक समान खाद्य पदार्थ मिलते है। संस्थान का मकसद भी यही रहा कि पहाड़ी उत्पादोें को मैदानी शहरों में पहचान मिले। अच्छा बाजार मिले। पहाड़ों में स्वरोजगार से जुड़े समुह इस से जुड़े थे। छोटे छोटे किसानो से समुह द्वारा समान इकट्ठा किया जाता है, और इन समुह से हम लोग यहाँ पर विक्रय करते थे। इससे जुड़े सभी लोग एक चेन की तरह काम करते हैं। इस सीजन में सारा सामान एकत्र हुआ, लेकिन कोरोना के लाॅकडाउन ने सब चैपट कर दिया। यहां करीब 5 लाख का समान बर्बाद हो गया है। इससे जुड़े दर्जनों लोगों की आजीविका प्रभावित हो गई है। जिन समूहों का सामान संस्थान में आया है उनकी देनदारी है और सामान पूरा खराब हो गया है। पहाड़ी फ्रेश ने दर्जनों लोगों की आजीविका को फिर से खड़ा करने के लिए सरकार से मदद की गुहार लगाई है। संचालकों के सामने अब सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि कैसे वह स्वरोजगारियों की देनदारी मैनेज करे और कैसे वह संस्थान के लंबित पड़े अन्य खर्चों को व्यवस्थित करे। सरकार के राहत पैकेज से उम्मीद तो जरूर है लेकिन बर्बाद हो रहे इस ंसंस्थान को संजीवनी तो तत्काल चाहिए। यदि बिलंब हुआ तो मैट्रोपोलेटिन में पहचान बना चुके यह संस्थान अपने अस्तित्व को कैसे बचा पायेगा, यह सवाल परेशान करने वाला है।