देहरादूनः उत्तराखंड की छवि देश-दुनिया में धार्मिक पर्यटन के विख्यात स्थल के रूप में बनी हुई है। चारों धामों के अलावा तमाम अन्य धाम स्थित होने के कारण ऐसा होना लाजिमी भी है लेकिन गुजरे सालों में राज्य में सत्तासीन रही सरकारों ने कभी भी धार्मिक पर्यटन की इस छवि के साथ ही उत्तराखंड के दूसरे पहलू यानि नैसर्गिकता से भरपूर वादियों आदि के बारे में देश-दुनिया को रूबरू कराने की जहमत नहीं उठाई। बहरहाल, अब त्रिवेंद्र सरकार राज्य की धार्मिक पर्यटन की छवि के साथ ही उत्तराखंड को एडवेंचर स्पोटर्स् का हब बनाने से लेकर सुंदर वादियों का सैलानियों को दीदार कराने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
उत्तराखंड पर प्रकृति की असीम अनुकंपा है। हालांकि, तमाम हसीन वादियां होने के बावजूद किसी भी सरकार ने राज्य के इस पक्ष को कभी सामने नहीं लाया। पहली बार त्रिवेंद्र सरकार की ओर से इस दिशा में कार्य शुरू किए गए हैं। राज्य में साहसिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए एडवेंचर विंग की स्थापना कर जहां भीमताल, अल्मोड़ा, सतपुली और टिहरी झील में साहसिक खेलों का आयोजन किया जा रहा है तो होम-स्टे योजना के जरिए न केवल स्थानीय लोगों को रोजगार का बड़ा प्लेटफार्म उपलब्ध कराया गया है बल्कि होम-स्टे के जरिए उत्तराखंड की संस्कृति के दर्शन भी देश-दुनिया से आने वाले पर्यटकों को कराए जा रहे हैं। पूर्व में जहां होम-स्टे की अवधारणा केवल मौज-मस्ती तक ही सीमित थी तो अब इनका इस्तेमाल वर्क-स्टेशन के तौर पर भी किया जा रहा है। देशी-विदेशी पर्यटकों के साथ ही बहुर्राष्ट्रीय कंपनियों में काम करने वाले लोग इस योजना को खासा पसंद कर रहे हैं। वहीं, प्रदेश में 42 नई चोटियों के आरोहरण के लिए भी मंजूरी दे दी गई है तो नए टूरिस्ट डेस्टिनेशन भी सरकार की ओर से विकसित किए जा रहे हैं। वहीं, यात्रा रूट से अलग-थलग रहे पौड़ी जिलों को भी विकसित करने पर राज्य सरकार का फोकस है। पौड़ी में होम-स्टे से लेकर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए तमाम नए स्थल विकसित किए गए हैं। कुल मिलाकर सरकार का संपूर्ण फोकस उत्तराखंड की धार्मिक छवि को बरकरार रखते हुए इसे एक नए टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में उभारने की है।