सिंगोरी न्यूजः ऐसा शायद पहली बार हुआ है, जब राज्य सभा भेजे गए पहाड़ के किसी सांसद ने अपने दायित्व में इंसानियत देखी है, मजबूर का दर्द देखा, मजबूरी को सिद्दत से महसूस भी किया है। अब तक के इकलौते उदाहरण लिए राज्य सभा सांसद अनिल बलूनी पूरे पहाड़वासियों की ओर से साधुवाद के पात्र हैं। सांसद ने दिल्ली में हाडतोड़ मजूरी कर आजीविका चलाने वाले पहाड़ के एक शख्स के बारे में सोचा है जिसकी तरह ना जाने पहाड़ों के कितने लोग मैदानों में जाकर मेहनत के नाम पर अपनी जान तक की बाजी लगा देते हैं। और यह भी सच्चाई है कि उनमें से ज्यादातर एक तरह से गुमनाम मौत मर जाते हैं। जिनके पीछे छूट जाता है पहाड़ में बिलखता एक बेवश परिवार।
गौरलतब है कि पिछले दिनों में दिल्ली में हुए जलभराव के कारण उत्तराखंड के पिथोरागढ़ जनपद के नौताश गांव निवासी कुंदन सिंह की जान चली गई थी। वह छोटा हाथी मालवाहक समेत सड़क में भरे पानी में समा गए। उनकी उम्र 56 साल थी। दिल्ली के मिंटो रोड ब्रिज पर हुए इस जानलेवा जलभराव में समा जाने के बाद कुंदन अपने पीछे छोड़ गए गांव में रहने वाली पत्नी मुन्नी देवी और दो पुत्रियां। बड़ी बालिका 24 साल की तथा दूसरी बेटी 12 की है। वो ही एक मात्र सहारा थे अपने छोटे से परिवार का।
बीजेपी के राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी उसकी पीड़ा को समझा और उसकी मदद की पहल की। कोशिश रंग लाई। और दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने बतौर आर्थिक सहायता 10 लाख रुपये की घोषणा की है। सांसद के मुताबिक मदद की यह राशि जिले के प्रशासन द्वारा पीड़ित परिजनों को मुहैया कराई जायेगी ताकि उन्हें किसी तरह की परेशानी ना हो।
जाहिर तौर पर राज्य सभा सांसद अनिल बलूनी की यह पहल सराहनीय है। इसके लिए पूरे प्रदेश के जनमानस की ओर से उनका साधुवाद। लोग सांसद के इस कदम की बहुत सराहना कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि इससे पहले भी ना जाने कितने नेता इस प्रदेश से राज्यसभा गए। ज्यादातर तो वो हैं जिनका यहां का जनमानस नाम तक नहीं जानता। शक्ल देखनी तो बहुत दूर की बात है। उनकी क्या जिम्मेदारियां होती है। किसी को नहीं पता। लेकिन अनिल बलूनी ने एक गरीब की मदद के लिए जो प्रयास किए हैं उसके लिए यहां का जनमानस उन्हें अपने नेता के तौर पर अग्रणी और हमेशा देखना चाहेगा।