सिंगोरी न्यूजः 2020 के अब सिर्फ पांच माह शेष हैं। और सूबे में विधान सभा का कार्यकाल पूरा होने के लिए करीब करीब एक साल और छह माह। वक्त का पहिया कई बार इतनी तेजी से घूमता है कि पता ही नहीं चलता। वर्ष 2017 में जब विधान सभा का चुनाव हुआ। तो भाजपा ने प्रचंड बहुमत हासिल किया। कांग्रेस से बगावत कर कए नेता व उनके आश्रितों को भी विजश्री हासिल हुई। लेकिन अच्छी परिस्थितियों में वक्त तेजी से निकल जाता है। अब देखिए ना छह माह बाद चुनावी वर्ष हो जायेगा। यानी जो होना है इन्हीं छह महीनों में होना है। खैर! सीधी बात पर आते हैं।
यंू तो कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने अपने बयानों और आकर्षक इवेंट्स को लेकर चर्चा में रहते हैं। लेकिन गत दिवस उन्होंने कांग्रेस के बागी नेताओं की वापसी को लेकर जो बयान दिया उसके कई निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। उन्होंने वापसी हो सकती है लेकिन सशर्त माफी के साथ। यह बयान अपने आप में खलबली मचाने वाला है।
बता दें कि वर्ष 2016 में जब हरीश रावत मुख्यमंत्री थे, उसी दौरान पार्टी के नौ विधायकों ने बगावत कर सीधे भाजपा का दामन थाम लिया था।
इसमें पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, हरक सिंह, सुबोध उनियाल सहित नौ विधायक शामिल थे। इन बागी विधायकों पर हरीश रावत ने कहा कि कि ये नेता अगर जनता से और कांग्रेस से माफी मांग लें तो इनकी घर वापसी हो सकती है। राजनीति के जानकारों के साथ ही लंबे समय से कांग्रेस का दामन थाम कर चलने वाले भी पूर्व सीएम के इस बयान पर वह सब तलाशने में लग गए हैं जो सीधे तौर तो कहीं दिख नहीं रहा। लेकिन कहीं कुछ तो जरूर है।
इस चर्चा से सियासी गलियारे पर गरम हो गए हैं। कांग्रेस में धड़ेबाजी तो जगजाहिर है। ऐसे में दूसरा धड़ा तो कई भी इस विषय पर सोचने तक को राजी नहीं लगता। ऐसे में वापसी की राह तो आसान नहीं होगी। लेकिन यह वक्त का उंठ किस करवट बैठता है इस पर अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। लेकिन पूर्व सीएम व कांग्रेस के दिग्गज की ओर से आया सशर्त माफी के साथ घर वापसी के बयान ने एक नई बहस को जन्म तो दे ही दिया है।