धन्यवाद कहें या साधुवाद ?

हिन्दी भाषियों के मन में कई बार ये सवाल उठता है कि धन्यवाद और साधुवाद में क्या अन्तर है और कौनसा कहाँ प्रयोग करना उचित है । आइये इस विषय में बात करें । पहले तो स्पष्ट कर दें कि ये दोनों ही मूलतः संस्कृत के शब्द नहीं हैं, यानी ये शब्द इस रूप में प्राचीनकाल में नहीं थे, और ये बाद में गढ़े गए हैं । धन्यवाद शब्द म्दहसपेी के ज्ींदो की प्रतिध्वनि में तथा साधुवाद शब्द प्रचलित शब्द वाह-वाह के संस्कृतनिष्ठ समकक्ष के रूप में।
आपको ये जानकर आश्चर्य हो सकता है, लेकिन ये सच है । हालाँकि इनकी व्याकरणगत शुद्धता पर कोई सवाल नहीं है । मतलब ये व्याकरण की दृष्टि से तो शुद्ध ही हैं। ये धन्य तथा साधु शब्द के साथ वाद शब्द का समास करने पर बने हैं । वाद का अर्थ होता है बात ।
जैसे- “अशोच्यानन्वशोचस्त्वं प्रज्ञावादाँश्च भाषसे” दृ भगवद्गीता (यानी तुमने न शोक करने योग्य बातों पर शोक किया, और प्रज्ञा के वाद (बातें) बोलते हो । तो इस हिसाब से धन्यवाद का अर्थ हुआ- धन्य, ऐसा वाद- धन्य, ऐसे शब्द या एक ऐसी बात जिसके जरिए किसी को धन्य कहा जाए । साधुवाद का अर्थ हुआ दृ साधु, ऐसा वाद दृ साधु, ऐसे शब्द या एक ऐसी बात जिसके जरिए किसी को साधु कहा जाए ।
अतः किसी को धन्यवाद कहने का अर्थ है ऐसा कहना कि वह व्यक्ति धन्य है । साधुवाद कहने का अर्थ है कि वह व्यक्ति साधु है । अब आप इस साधु का मतलब संन्यासी मत लगाइये । ये साधु शब्द सज्जन या अच्छा के लिए प्रयुक्त होता है । संस्कृत में साधु का अर्थ है अच्छा । बचपन में मैंने संस्कृत की पाठ्यपुस्तक में कुछ ऐसा वाक्य देखा था- सः कलासु साधुः दृ वह कलाओं में अच्छा है । अब देख लें३३ इसमें संन्यासी शब्द से कोई लेना-देना नहीं है । ये बात अलग है कि संन्यासी या आध्यात्मिक रूप से समर्पित व्यक्ति को हम लोग अच्छा मानने के कारण साधु कहते हैं । यानी संस्कृत में जहाँ-जहाँ साधु और धन्य शब्दों का प्रयोग जहाँ करते हैं, उन्हीं-उन्हीं जगहों पर हिन्दी और आधुनिक भारतीय भाषाओं तेलुगु, कन्नड़, भोजपुरी आदि में क्रमशः साधुवाद और धन्यवाद शब्द आ गये हैं । इसी तरह तेलुगु में यहाँ धन्यवादमु शब्द का प्रयोग होता है । लेकिन हाँ, हमारा प्रश्न ये भी है, कि साधुवाद और धन्यवाद में से कहाँ किसका प्रयोग किया जाना चाहिए । तो भई, जब किसी की प्रशंसा करनी हो तो निश्चय ही साधुवाद शब्द उचित है, न कि धन्यवाद । लेकिन कई लोग ऐसा भी समझने लगते हैं कि धन्यवाद साधुवाद का ही अधिक फॉर्मल रूप है, और वे धन्यवाद की जगह पर भी साधुवाद शब्द का प्रयोग कर देते हैं जो अनुचित है । साधुवाद शब्द कृतज्ञता अभिव्यक्ति का वाचक नहीं है , यह केवल स्तुतिवाचक है यानी प्रशंसा का द्योतक । जैसे ये प्रयोग गलत होगा- आपके उपकार के लिए मैं आपका साधुवाद करना चाहता हूँ । सही प्रयोग ये है- आपके उपकार के लिए मैं आपका धन्यवाद करना चाहता हूँ । लेकिन हाँ, कई अवसर ऐसे होते हैं जहाँ आप धन्यवाद की जगह साधुवाद भी कह दें तो किसी कीमत पर गलती पता नहीं चल सकती, क्योंकि आप जिसको धन्यवाद देना चाहते हैं उसकी तारीफ भी कर ही सकते हैं, तारीफ यानी- वाहवाही । अक्सर किसी के द्वारा आपको व्यक्तिगत या निजी रूप से लाभ पहुँचाए जाने पर धन्यवाद कहना उचित है, जबकि किसी व्यक्ति द्वारा सार्वसमाजिक लाभ पहुँचाए जाने पर यानी बहुतों का भला किए जाने पर साधुवाद कहना उचित है। साभार

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