सिंगोरी न्यूजः अगर इंसान अगर इंसान को बचाने का जज्बा रखे तो जिंदगी लेने वालों को भी पांव पीछे खींचने पड़ते हैं। खासतौर पर तब जब खून के रिस्तों से इतर खून दूसरे की रगों में दौड़ने के लिए उबाल मारता हो।
मामला हमीरपुर का है। यहां इंसानियत ने मौत के पंजों केा मोड़ दिया और दो जिंदगियां खिलखिलाने लगी। भरुआसुमेरपुर निवासी बृजेश की पत्नी क्रांति 15 किलोमीटर दूर जिला अस्पताल गई। लेकिन क्रांति में खून की कमी के कारण डाक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए। शोसल मीडिया पर उन्होंने संदेश डाला कि ओ पाॅजिटिव ब्लड चाहिए। इसी बीच क्रांति को अचानक प्रसव का दर्द शुरू हो गया।
डॉक्टर ने उन्हें कानपुर रेफर कर दिया। बृजेश प्राइवेट एम्बुलेंस कानपुर के लिए निकले लेकिन तीन किलोमीटर दूर यमुना पुल पर क्रांति ने बच्चे को जन्म दे दिया। स्थिति बिगड़ती देख बृजेश रास्ते में दिए एक नर्सिंग होम में जच्चा-बच्चा को ले गए जहां उन्होंने भर्ती करने मना कर दिया। तो फिर वापस जिला अस्पताल ले आए। वहीं सोशल मीडिया के मैसेज से अस्पताल से 18 किलोमीटर दूर पत्योरा से चले अनुज पांडेय ने उन्हें तत्काल खून दे दिया। उसके बाद शहर के बंगाली मोहाल निवासी लल्ला तिवारी भी रक्तदान को आए। 15 किलोमीटर दूर से पहुंचे भरुआसुमेरपुर के इमरान अंसारी ने भी जीवनदान के लिए महादान किया। और क्रांति ने जीत ली जिंदगी की जंग। अब जच्चा-बच्चा की जान बचा ली। अब दोनों स्वस्थ हैं।
जिला अस्पताल की चिकित्सक पूनम सचान ने बताया कि महिला के शरीर में खून की काफी कमी थी। अस्पताल में ओ पॉजिटिव खून नहीं होने से जच्चा और बच्चा दोनों की जान का खतरा था। ऐसे में उन्हें कानपुर रेफर किया गया था। रास्ते में प्रसव हो गया। सही वक्त पर डोनेटर मिल गए इसलिए दोनों की जान बच गई। phto symbolic